मुझको जब से मुहब्बत हुई...
इस जहां से अदावत हुई...!
इश्क़ को जब खुदा कर लिया...
ज़िन्दगी इक इबादत हुई...!
आपने जब दुआ दी मुझे...
ठीक मेरी तबीयत हुई...!
चाँद आगोश में आ गया...
आज पूरी ये मन्नत हुई...!
मुस्कुरा कर हमें देखना...
या खुदा, ये हिमाकत हुई....!
साँस थम सी गयी थी मेरी...
आप आये तो हरकत हुई...!
रात 'पूनम' अकेली नहीं...
चाँदनी की इनायत हुई...!
***पूनम***
वाह ! सुभानअल्लाह
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अनीता जी.....
हटाएंवाह! पूनम जी बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया राकेश जी
हटाएंबेहतरीन.. अच्छा लिखते हैं आप. ये कलम चलती रहे
जवाब देंहटाएंहितेश जी...बहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' १५ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंध्रुव जी....आभार आपका 'लोकतंत्र'में सम्मिलित करने के लिए
हटाएंThanks for sharing, nice post! Post really provice useful information!
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