दिल में दर्द छुपाना कैसा...?
जख्मों को दिखलाना कैसा...?
आँसू जब आँखों में आएँ...
नीचे नज़र झुकाना कैसा...?
इश्क़ किया है, दिल है हारा...
फिर पीछे पछताना कैसा..?
शम्मा ने पूछा चुपके से...
"परवाने जल जाना कैसा...?"
मंजिल तो मिल ही जायेगी...
राही यूँ घबराना कैसा...?
रस्ता कहाँ, कहाँ है जाना...
बिन पूछे बतलाना कैसा...?
रात अँधेरी नींद नदारत...
'पूनम' ख्वाब सजाना कैसा...?
***पूनम***
अच्छी कविता। शुभकामना
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंachhi poems
जवाब देंहटाएंself publishing India
शुक्रिया
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