वल्लाह न कहू तो तुझे और क्या कहूँ....
बन कर गज़ल तू मेरे जेहन में उतर गया...!
चाहा था लाख तुझको भुला दूँ...मगर नहीं
तस्वीर बन के मेरी नज़र में उतर गया....!
तेरा जमाल..तेरी मुहब्बत का शुक्रिया...
जब से मिला है मुझको..तू मुझमें ठहर गया..!
औरों का न ख्याल है...न अपना अब रहा...
बस तू ही नज़र आता है...जब भी जिधर गया...!
ए मेरे सनम..मेरे खुदा...तुझको क्या कहूँ..
तू रूह बन के मेरे जिसम में उतर गया.....!
बहुत खूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंआदरणीय पूनम जी ..... बहुत ही जबरदस्त लिखा है आपने
जवाब देंहटाएं@ संजय भास्कर
बहुत ही बढ़ियाँ
जवाब देंहटाएंबेहद खुबसूरत गजल...
:-)
वाह जी वाह.....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया गज़ल......
दाद हाज़िर है
अनु
बेहतरीन प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसुभानाल्लाह........गहरे जज़्बात बेहतरीन अंदाज़ ।
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