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शुक्रवार, 22 जून 2012

तेरे बहाने.....



तेरे मेरे मिलने का दिन था मुकरर्र
मगर तेरे जानिब.....बहाने बहाने

किया मैंने था इंतज़ार तेरा कितना
मगर तू बनाये.......बहाने बहाने 

वो मिलने का वादा वो वादा खिलाफी
*ख़मी तुझमें लायी.....बहाने बहाने
(झुकाव)

वो छत पे बुलाना और तेरा न आना
मुझे यूँ सताना.....बहाने बहाने 

मेरे दिल में तू है तेरे दिल में क्या है
ये पूछा था तुझसे....बहाने बहाने

तेरा मुस्कुराना वो नज़रें मिलाना
फिर नज़रे झुकाना...बहाने बहाने

10 टिप्‍पणियां:

  1. पूनम सी सूरत और वैसी ही सीरत
    क्यूँ?कहा था किसी ने...बहाने बहाने ???

    :-)

    बहुत प्यारी रचना....गुनगुनाने को जी किया....

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  2. ज़बरदस्त बहाने बहाने ... सुंदर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. कल 24/06/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  4. बहुत सुन्दर...
    कोमल अहसास...
    सुन्दर भाव...
    शानदार रचना....
    :-)

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-062012) को चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  6. बहाने ही बहाने में बात बन गयी :-)

    ब्लॉग का नया स्वरुप बढ़िया लगा।

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