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बुधवार, 21 अगस्त 2013

आज का चाँद...........


 ( मैंने ही ये तस्वीर भी...)




ये  मुझे किसने टांग दिया है...

दो बिल्डिंगों के बीच में...?

मैं तो आसमान में उन्मुक्त अकेला हूँ...! 

साथ में हैं कुछ टिमटिमाते सितारे..

जिनकी रौशनी तुम तक पहुँच नहीं पाती...! 

तुम तक सिर्फ और सिर्फ मेरी पहुँच है....!

चाहो तो सिर उठा कर ऊपर देख लो...

मैं हूँ तुम्हारी हद के अंदर...

और तुम......??

मेरी.....!!!







अभी अभी...
बैंगलोर
21/8/2013

5 टिप्‍पणियां:

  1. विकास के बीच रख दिया है सौन्दर्य के चाँद को।

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  2. तुम और मैं एक दूसरे की हद में..और हमारी मोहब्बत ने पार कर दी सब हदें...
    :-)

    अनु

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  3. वाह ! चित्र और शब्द दोनों सोने में सुहागा...

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  4. हठ कर बैठा चांद एक दिन, माता से यह बोला
    सिलवा दो माँ मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला
    .
    .
    .
    .
    .

    घटता-बढ़ता रोज, किसी दिन ऐसा भी करता है
    नहीं किसी की भी आँखों को दिखलाई पड़ता है

    अब तू ही ये बता, नाप तेरी किस रोज लिवायें
    सी दे एक झिंगोला जो हर रोज बदन में आये!

    _श्री रामधारी सिंह "दिनकर"

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  5. मैं हूं
    तुम्हारी हद में...
    और तुम मेरी !

    वाऽहऽऽ…! लाजवाब !!

    आदरणीया पूनम जी
    सच्चा प्यार विश्वास से भरा होता है ...

    (क्या संयोग है ! पिछले दो-तीन दिन मैंने भी चांद की तस्वीरें उतारी )
    :)

    हार्दिक मंगलकामनाओं सहित...
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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