शुक्रवार, 29 नवंबर 2013

तुम...........................मैं






तुम...........................मैं
मैं.............................तुम
दोनों के बीच 
खालीपन कहाँ....
साझेदारी कहाँ...??
सब समझा हुआ...जाना हुआ
सम्पूर्ण दर्शन है तुम्हारा...
तुम से ही प्रतिबिंबित है 
ये पूरा जीवन हमारा...!
तुम तो यही समझते हो कि
तुम्हारी हर सोच...
मुझ पे भारी पड़ती है..
क्यूँ.....???
कभी सोचा है तुमने..??
हम धागे के दो छोर
आपस में जुड़े तो हैं...
लेकिन तुम..
अपना सिरा पकड़े 
अपनी ही जगह पर खड़े हो...!
नहीं अड़े हो.....
और अपेक्षा है मुझसे कि
बीच की ये सारी दूरी 
मैं अकेले ही तय करूं..!
जीवन का सारा दर्शन,चिंतन और विश्लेषण
सब का सब...
तुम्ह्रारा पढ़ा हुआ,देखा हुआ,भोगा हुआ...
और मैं.......
निरा कोरी....
न कोई दर्शन,न कोई चिंतन...
न ही जीवन का कोई विश्लेषण...!
न कुछ देखा...न पढ़ा....
न कोई अनुभव.....
बस एकदम अछूती...!
अस्पृश्य सी इतनी जिंदगी 
जो जी है तुम्हारे साथ....!
फिर इस तुम.......से.........मैं 
और मैं...........से...........तुम तक का 
सफर कैसा...??
एक लंबी सी खायी...
जो ऊपर से भरी दिखाई देती है...
लेकिन भीतर की गहराई
किसे दिखाई देती है...! 
जीवन के सत्य की खोज...
तुम्हारी तुम्हारे लिए ही...
और मेरी खोज मेरे लिए है...!
शायद एक दूसरे के 
काम न आ सकेगी कभी भी...!
फिर हर वक्त खुद को दूसरे पे थोपना क्यूँ...?
खुद को बेहतर दिखाना या बताना क्यूँ...??
क्या इसे हमारा पूर्ण हो जाना कहेंगे...???

***पूनम***
बस...अभी अभी....


शनिवार, 23 नवंबर 2013

क्या समझूँ........




है बड़ी मुश्किल यहाँ कोई नज़र आता नहीं...
आप ही अब कुछ कहें...मुझको समझ आता नहीं....!!

दूर तक तन्हाई ही मुझको नज़र आती है अब...
कोई तो हमदम मिले...मुझको समझ आता नहीं...!!

आप थे हमदम मेरे अब हो गयी हैं दूरियां...
कैसे होंगी दूर ये...मुझको समझ आता नहीं...!!

है कोई तो बात वरना आप कुछ कहते ज़रुर ...
आप हैं खामोश क्यूँ...मुझको समझ आता नहीं....!!

फासले मिट जायेंगे..सिमटेंगी सारी दूरियाँ...
पास कैसे आयेंगे...मुझको समझ आता नहीं...!!


***पूनम***



गुरुवार, 7 नवंबर 2013

बहाने....





सितारे रूठ गए मेरे आशियाने से..
न बाज़ आये तुम फिर बिजलियाँ गिराने से..!

हमें सताए बिन न उनको  चैन आये कभी...
वज़ह वो खोजते रहते हैं कुछ बहाने से...!

कभी भी रस्मे वफ़ा वो नहीं निभा पाया 
उम्मीद उसको हमेशा रही ज़माने से...!

तुम्हारी बज़्म में वाईज़ भी हैं रिंद भी हैं...
नज़र तुम्हारी ही टिकती नहीं ठिकाने से...! 


किसे है चाह के मिल जाये उसको तख़्तो ताज़..
सुकून मिलता है  'पूनम ' को दिल लगाने से...!

***पूनम***
आज और अभी....



मंगलवार, 29 अक्टूबर 2013

आओ...एक दीप जलाएं....





कभी जब हो उदासी तुम पे छाई...मुस्कुराओ तुम...
जलाओ एक दीपक प्रेम का...और गीत गाओ तुम...!
अँधेरा अपने घर के साथ...जग का दूर कर दो तुम...
कभी रोते हुए बच्चे के संग संग खिलखिलाओ तुम...!!




***पूनम***



बुधवार, 16 अक्टूबर 2013

वफ़ा तुम कर नहीं सकते.....





खुशी की बात करते हो मगर खुश हो नहीं सकते...
हमें अपना नहीं कहते...हमारे हो नहीं सकते...!!

जो रातों की सियाही को उजाला कर नहीं पाए...
सुबह हमने दिखाई...तुम उजाला कर नहीं सकते...!!

हजारों ख्वाहिशे दिल की तुम्हारे चार सू फैलीं...
हमारी बंदगी पर...अब इशारा कर नहीं सकते...!!

कभी मांगी थी बस मैंने तेरे दिल की नियामत ही...
हुई अब देर काफी...तुम शिकायत कर नहीं सकते...!!

तेरी फितरत में है बस घूमना औ घूमते रहना...
किसी इक शख्स की जानिब...वफ़ा तुम कर नहीं सकते..!!

खुदा गर है कहीं तो राह मुझको मिल ही जायेगी...
हमारी ज़िंदगी को...हम भी जाया कर नहीं सकते...!!




शनिवार, 12 अक्टूबर 2013

खरामा खरामा......











चले आ रहे हैं खरामा खरामा 
वो अपनी नज़र को झुकाए झुकाए...!

नहीं हमने देखी कभी ऐसी शोखी..
है गिरती नजर से झुकाए झुकाए...!

कभी छोड़ देते हैं दिल पर निशानी
परेशां भी खुद किस तरह से मिटाए...!

वो बैठे हैं महफ़िल में कर के किनारा..
खुदारा कोई उनको न देख पाए...!









शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

राबता......




बेवजह उनसे बात कर डाली...
अपनी तबियत खराब कर डाली...

प्यार जब हो सका नहीं मुझसे...
मेरी बदनामियां ही कर डाली

हमने देखा नहीं उन्हें कब से...
जिंदगी यूँ तबाह कर डाली..

उनको था नाज़ अपनी सूरत पे
फिर भी सूरत खराब कर डाली..

हम भी कमतर नहीं थे कुछ उनसे...
जिंदगी उनके नाम कर डाली...

आप क्यूँ बेवजह दुखी हैं अब...
आप पर हमने है नज़र डाली

आपसे राबता रहा 'पूनम'..
इसलिए आज बात कर डाली...!

सोमवार, 23 सितंबर 2013

मेरा इश्क..........



मेरा इश्क मेरा जुनून है....नहीं तुझसे कोई गिला किया...
मेरे नाम से तू उबर गया...नहीं मुझसे फिर तू मिला किया 

मेरी चाहतें....मेरी नेमतें....मेरे अधखुले कई ख्वाब हैं...
जो कुबूल हो भी तुझे कभी....मेरे आंसुओं ने गिला किया 

वो जो मेहरबां था कभी मेरा....नहीं राजदां है वो अब मेरा 
कभी दिल गवां के भी हंस दिए....कभी दिल से दिल का सिला दिया

मेरा दिल कभी तेरे नाम था...मेरे दिल में तू सरेआम था... 
रही अब तलब न मुझे तेरी...दिल-ए-गुल था...यूँ ही खिला किया 

मैं तेरे नसीब में थी कहाँ...तू मेरा नसीब भी न रहा...
जो बनी दुआ तो सिमट गयी...तन्हाई को भी जिला दिया 

मैं थी एक शम्मा जो बज़्म में...नहीं दे सकी तुझे रौशनी
मेरा जिस्म जल के न मिट सका...तुझे खाक में तो मिला दिया 






शनिवार, 21 सितंबर 2013

मैं.....






मेरे जीवन की अभिलाषा...
न जाने कब पूरी होगी...
अस्फुट से स्वर की चंचलता...
तुझ से मिल कर स्थिर होगी...
तू परिचित भी है..अपरिचित भी...
तू अपना भी...बेगाना भी...
न जाने ये कैसा अभिनय...
जाना भी है...अनजाना भी...
मेरे अपने...मेरे सपने...
तू पास भी है..तू दूर भी है...
तू मुझमें है आधा -आधा...
तू मुझमें ही सम्पूर्ण भी है...!!




***पूनम***



गुरुवार, 12 सितंबर 2013

सदके.......






तेरी बातों में अब मुझको...मुहब्बत ही नज़र आती..
ए मेरे यार! मैं तुझ पे.....तेरे इस प्यार पे सदके..!!

तेरे इकरार के सदके....तेरे इनकार के सदके...
कहा कुछ भी नहीं लेकिन...तेरे इज़हार के सदके...!!


***पूनम***





सोमवार, 2 सितंबर 2013

अधूरे ख्वाब...





बेचैन बहुत कर देते हैं 
कुछ ख्वाब अधूरे इस दिल को..
चुपके से दिल में रहते हैं ! 
जो ख्वाब न पूरे हो पाए 
अक्सर आँखों में चुभते हैं !
पलकों पर ओस की बूंदों से 
लहराते हैं कुछ झिलमिल से 
कुछ ख्वाब अधूरे-आधे से 
जो आज छलक फिर आये हैं 
इन आँखों में आँसू बन कर...
इन पलकों पर मोती बन कर....!!



***पूनम***


गुरुवार, 29 अगस्त 2013

फरेबी.....



हैं फरेबी सभी शख्स वो भी बड़े...
जिनके होठों पे मुस्कान दिल में जलन...!
तेरी फुरकत में हूँ कब से बरबाद मैं..
कोई भी ना मिटा पायेगा ये लगन...!
तीर तरकश से जब जब निकालेंगे वो...
याद फिर आ ही जायेगी उसकी चुभन...!
अपने लफ़्ज़ों में घोला जो उसने ज़हर..
. हंस के हम पी गए मिट गयी सब जलन...!

तुम मुखातिब रहो या मुखालिफ रहो....

ढूंढ लेंगे तुम्हें हम चमन दर चमन...!










रविवार, 25 अगस्त 2013

उनकी सूरत............





उनकी सूरत निखर गयी होगी,
रोशनी  जब उधर  गयी होगी...!

रात इक गीत उसने छेड़ा था,

उसको  भी ये खबर गयी होगी ...!

लिखते लिखते खयाल आता है,

ख्वाब में वो उतर गयी होगी...!

मेरे आने से बात बन जाए,

बज़्म तेरी संवर गयी होगी...!

हमको इलज़ाम दे रहे हैं वो,

कुछ तो उन पर गुज़र गयी होगी...!

रात भर कोई गीत गाता था,

आग दिल की किधर गयी होगी...!

शाम से ही चराग जलते हैं, 

चांदनी कुछ बिखर गयी होगी...!

बात छेड़ी जो आज 'पूनम 'की,

सारी दुनिया ठहर गयी होगी...!


***पूनम***


चाँद.......






कल रात चाँद चमका...मेरे आँगन में इस तरह 
चमके है जैसे दामिनी....बादल में इस तरह 
कुछ चल रही हवाएं भी....उस वक्त तेज तेज  
खुशबू उड़ी दिशाओं में भी थी....कुछ इस तरह 
चमके थे साथ तारे...........आँचल में रात के  
जैसे हो ओढ़नी......किसी दुलहन की इस तरह

***पूनम***
आधी रात का प्रलाप...
२६/८/२०१३






बुधवार, 21 अगस्त 2013

आज का चाँद...........


 ( मैंने ही ये तस्वीर भी...)




ये  मुझे किसने टांग दिया है...

दो बिल्डिंगों के बीच में...?

मैं तो आसमान में उन्मुक्त अकेला हूँ...! 

साथ में हैं कुछ टिमटिमाते सितारे..

जिनकी रौशनी तुम तक पहुँच नहीं पाती...! 

तुम तक सिर्फ और सिर्फ मेरी पहुँच है....!

चाहो तो सिर उठा कर ऊपर देख लो...

मैं हूँ तुम्हारी हद के अंदर...

और तुम......??

मेरी.....!!!







अभी अभी...
बैंगलोर
21/8/2013

शुक्रवार, 16 अगस्त 2013

हाशिए.......



अपनी जिंदगी को ...

कितने हाशियों में 

बाँट रखा है इंसान ने 

खुद नहीं जानता अपने आप को...

और सारा समय कोशिश करता है 

दूसरों को समझने की....

समझाने की ...!

अपनी ज़िंदगी को सहज,सरल 

न बना कर उलझाने में लगा है !

जरा जरा सी बात पर 

हाशियों को खींचने में 

लगा रहता है अपनों के दरमियाँ..

और जब दूरी बढ़ जाती है 

तो खुद परेशान हो जाता है !

खुद तो जब चाहे...

तब दीवार उठा देता है 

लेकिन दूसरों की रखी एक ईंट भी 

ठोकर देती है उसे...!

जिंदगी सरल भी है और....

सुन्दर भी....!

लेकिन दरमियाँ के ये हाशिए....

इसे सुन्दर रहने दें तब न.....!!






रविवार, 4 अगस्त 2013

सन डे के फन डे का फ़ाइनल फंडा.....









शेर शेरनी से नहीं डरता 
क्यूँ कि प्यार करता है....
शादी नहीं करता....!



आदमी औरत से डरता है
क्यूँ कि शादी तो करता है...
प्यार नहीं करता.....!!



***प्रदीप चौबे***





गुरुवार, 18 जुलाई 2013

निगाह-ए-करम.....






कुछ करम हम पर अगर हो जायेगा...
तू बता मुझको तेरा क्या जायेगा...!

हम भी जी लेंगे जहाँ में चैन से 
बंदापरवर भी है तू...कहलायेगा !

इस जहाँ में कौन अब तेरे सिवा...
मेरे हिस्से में तो बस तू आएगा...!

दुश्मनों की भीड़ है चारों तरफ...
मेरे खुदा मुझको बचा ले जायेगा...!

गर रहे हर वक्त मेरे साथ तू
इस जहाँ से वास्ता छूट जायेगा..!

घात में बैठा हुआ इंसान है..
जान ले के ही ये अब तो जायेगा...!

रहम कर दे तू अगर मेरे खुदा 
आशियाँ मेरा भी बच ही जायेगा..!






रविवार, 14 जुलाई 2013

सही अर्थों में मित्रता.....









मन हो सुगन्धित मित्रता से आयु इसकी दीर्घ हो....
चरित्र सबका उच्च हो और भावना भी पवित्र हो...
हों साथ अपने मित्र जब आनंद भी अतिरेक हो...
फूले फले उपवन हमारा...कामना ये पूर्ण हो....!!



***पूनम***
१३/०७/२०१३



गुरुवार, 11 जुलाई 2013

पैगाम........






कोई आहट तो मिले या कोई पैगाम आये 
कहीं से भेजे मगर कुछ तो मेरे नाम आये !

नहीं नज़र में मुरव्वत कहीं नज़र आती  
वो संगदिल ही सही कुछ तो मेरे काम आये...!!



अभी अभी...




रविवार, 7 जुलाई 2013

मुखौटे....






बहुत दिन हो गए
हमें अपनापन का नकाब पहन कर
दुनिया से अपना सच छुपाते हुए....!
इस नकाब के पीछे है
हमारे रिश्तों की सच्चाई !
कुछ चाहे ...कुछ अनचाहे रिश्ते
कुछ रिश्तों के वजूद न रह कर भी हैं...
और कुछ रिश्ते साथ रह कर भी बेवजूद हैं !
बड़ी थकन भरी है ये दोहरी जिंदगी...!
आओ...
अपने इन निर्जीव सम्बन्ध को...
पूरी नग्नता के साथ 
दुनिया के सामने उजागर करते हैं...!
मेरे लिए ये ज़रा भी मुश्किल नहीं...!
और तुम्हारे लिए भी सच सामने लाना 
ज्यादा मुश्किल न होगा....!!
आज हम अपना अपना
ये झूठा नक़ाब उतार फेंकते हैं..... 
और कुछ देर के लिए ही सही....
अपने इंसान होने का अभिनय करते हैं... !!





तस्वीर....







तस्वीर तेरी दिल में सजा रखी है कब से...
ये अलग बात है....

दुनिया को दिखाई नहीं अब तक.!..
तू उजागर न हो सके ज़माने के सामने 
इसलिए....

मैं ने ये बात छुपाई है अब तक...!!




***पूनम***