गुरुवार, 7 नवंबर 2013

बहाने....





सितारे रूठ गए मेरे आशियाने से..
न बाज़ आये तुम फिर बिजलियाँ गिराने से..!

हमें सताए बिन न उनको  चैन आये कभी...
वज़ह वो खोजते रहते हैं कुछ बहाने से...!

कभी भी रस्मे वफ़ा वो नहीं निभा पाया 
उम्मीद उसको हमेशा रही ज़माने से...!

तुम्हारी बज़्म में वाईज़ भी हैं रिंद भी हैं...
नज़र तुम्हारी ही टिकती नहीं ठिकाने से...! 


किसे है चाह के मिल जाये उसको तख़्तो ताज़..
सुकून मिलता है  'पूनम ' को दिल लगाने से...!

***पूनम***
आज और अभी....



10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (09-11-2013) "गंगे" चर्चामंच : चर्चा अंक - 1421” पर होगी.
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
    सादर...!

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 09/11/2013 को एक गृहिणी जब कलम उठाती है ...( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 042 )
    - पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....

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