गुरुवार, 18 जुलाई 2013

निगाह-ए-करम.....






कुछ करम हम पर अगर हो जायेगा...
तू बता मुझको तेरा क्या जायेगा...!

हम भी जी लेंगे जहाँ में चैन से 
बंदापरवर भी है तू...कहलायेगा !

इस जहाँ में कौन अब तेरे सिवा...
मेरे हिस्से में तो बस तू आएगा...!

दुश्मनों की भीड़ है चारों तरफ...
मेरे खुदा मुझको बचा ले जायेगा...!

गर रहे हर वक्त मेरे साथ तू
इस जहाँ से वास्ता छूट जायेगा..!

घात में बैठा हुआ इंसान है..
जान ले के ही ये अब तो जायेगा...!

रहम कर दे तू अगर मेरे खुदा 
आशियाँ मेरा भी बच ही जायेगा..!






7 टिप्‍पणियां:

  1. 'मेरे खुदा मुझको बचा ले जाएगा...'

    इस विश्वास को नमन!

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  2. बहुत खूब पूनम जी....इंसान की पुकार सुन खुदा उतार आएगा ज़रूर...

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  3. रहम कर दे तू अगर मेरे खुदा
    आशियाँ मेरा भी बच ही जायेगा..!

    बना रहे विश्वास....

    अनु

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  4. खुदा का रहम तो हर पल बरस ही रहा है..

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  5. बहुत ही लाजवाब पंक्तियाँ हैं ...
    उसका करम रहना चाहिए बस ...

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  6. Bahut hi umdaa khayaal , bahut hi khoobsoorti se pesh kiye hain aapne ... waaahhhhhhh....

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