बेवजह
उनसे बात कर डाली...
अपनी
तबियत खराब कर डाली...
प्यार जब हो सका नहीं मुझसे...
मेरी बदनामियां ही कर डाली
हमने देखा नहीं उन्हें कब से...
जिंदगी यूँ तबाह कर डाली..
उनको था नाज़ अपनी सूरत पे
फिर भी सूरत खराब कर डाली..
हम भी कमतर नहीं थे कुछ उनसे...
जिंदगी उनके नाम कर डाली...
आप क्यूँ बेवजह दुखी हैं अब...
आप पर हमने है नज़र डाली
आपसे राबता रहा 'पूनम'..
इसलिए आज बात कर डाली...!
बहुत खूब, मन की बात कर ही डाली
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार - 29/09/2013 को
जवाब देंहटाएंक्या बदला?
- हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः25 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra
आपने लिखा....हमने पढ़ा....
जवाब देंहटाएंऔर लोग भी पढ़ें; ...इसलिए आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल में शामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {रविवार} 29/09/2013 को पीछे कुछ भी नहीं -- हिन्दी ब्लागर्स चौपाल चर्चा : अंक-012 पर लिंक की गयी है। कृपया आप भी पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें। सादर ....ललित चाहार
बहुत खूब.. चित्र भी रचना भी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट अनुभूति : नई रौशनी !
नई पोस्ट साधू या शैतान
बेवजह उनसे बात कर डाली ,
जवाब देंहटाएंमौत अपनी करीब कर डाली।
बेवजह मिल गए थे रस्ते में ,
खामखा उनसे बात कर डाली।
भोली भाली थी कमसिन सूरत तो ,
उनसे मिलके खराब कर डाली।
ज़िन्दगी कट रही थी मस्ती में ,
अपनी हालात खराब कर डाली।
बहुत बढ़िया रचना है आपकी अलग एहसासात की।
वाह....बहुत खूब....वीरेंद्र जी....
हटाएंअति सुन्दर...
बहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग को ब्लॉग"दीप" में शामिल किया गया है | जरूर पधारें और फॉलो कर उत्साह बढ़ाएँ |
जवाब देंहटाएंब्लॉग"दीप"
वाह वाह
जवाब देंहटाएं"प्यार जब हो सका नहीं मुझसे...
मेरी बदनामियां ही कर डाली"