अधूरे ख्वाब...
बेचैन बहुत कर देते हैं 
कुछ ख्वाब अधूरे इस दिल को..
चुपके से दिल में रहते हैं ! 
जो ख्वाब न पूरे हो पाए 
अक्सर आँखों में चुभते हैं !
पलकों पर ओस की बूंदों से 
लहराते हैं कुछ झिलमिल से 
कुछ ख्वाब अधूरे-आधे से 
जो आज छलक फिर आये हैं 
इन आँखों में आँसू बन कर...
इन पलकों पर मोती बन कर....!!
***पूनम***
 
 
 
 
          
      
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
अधूरे स्वप्न भी पूर्णता चाहते हैं।
जवाब देंहटाएंये अधूरे ख़्वाब और उनसे बने मोती - क्या कहूँ ,बस खामोशी से निहार रही हूँ .....
जवाब देंहटाएंयही सपने एक दिन उजाला बनेंगे..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना....
जवाब देंहटाएंshandar
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