जब से नज़रों में तू समाया है..
हर तरफ इक नशा सा छाया है...!
देख कर होश गुम हुए मेरे..
तूने नज़रों में क्या मिलाया है ..!
बेख़ुदी और बढ़ गई मेरी..
दूर रह कर हमें सताया है...!
हिज़्र की बात भूल बैठे हैं..
वस्ल ने हौसला बढ़ाया है...!
मुन्तज़िर तो तेरा ज़माना था..
तूने अपना हमें बनाया है...!
हौसला तू भी देख 'पूनम' का..
नाम लब पर न तेरा आया है...!
***पूनम***