हर इक लम्हा तेरे आने का नज़रों में उतर जाये..
गुजरता है अगर ये वक्त तो यूँ ही गुजर जाए...!
अगर मैं मूंद लूँ आँखें तो तेरे ख्वाब आते हैं...
जो खुल जाएँ मेरी ऑंखें तेरा चेहरा संवर जाए...!
मेरा दिल जानता है ये तुझे मिलने की चाहत है...
मगर जब वक्त आता है तू मिलने से मुकर जाये...!
यही ख्वाहिश अब मेरी जिंदगी भर की कमाई है...
के जब तू पास हो मेरे हर इक लम्हा ठहर जाये...!
फलक पर चाँद तारे अब मुझे इक साथ दिखते हैं...
मुझे तू ही नज़र आये...जहाँ तक ये नज़र जाए...!
२४/०४/२०१४