आज इस दिल को मचलने की सज़ा मत देना...
देखना प्यार से लहज़ों को अदा मत देना...!
जब भी मिलना हो तो कर देना इशारा मुझको...
देखना दूर से मुझको तो सदा मत देना ...!
आग बारिश की ये बूंदें जो लगा जाती हैं...
हाथ से छू के इसे और बढ़ा मत देना...!
तेरे रुखसार पे जो आ के ठहर जाती हैं...
जुल्फ की ऐसी घटाओं को हटा मत देना...!
रात रंगीन हुई तेरे ही आ जाने से...
चाँद रौशन है इसे आज बुझा मत देना...!
***पूनम***
२७/०७/२०१५
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 01 जून 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया यशोदा जी
हटाएंभावनात्मक रचना। एक वेहतरीन गज़ल।
जवाब देंहटाएंBadhiya..
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