जब से हुआ निकाह हमारा न पूछिए...
बेहाल है ये हाल हमारा न पूछिए...!!
तारीफ भी करे वो तो लगती उन्हें है तंज...
जीना हुआ मुहाल खुदारा न पूछिए...!!
जब उनकी मुस्कुराहटों पे हम हुए निसार...
फरमाइशों का खोला पिटारा न पूछिए...
अब देखती नहीं है पड़ोसन कभी उन्हें...
छुप छुप किया था कितना इशारा न पूछिए...!!
'पूनम' की रात और छत पे चाँद आ गया...
पर उनके सर पे किसने उतारा न पूछिए...!!
वाह, बहुत खूब रचना।
जवाब देंहटाएंशुभानअल्लाह !
जवाब देंहटाएंवाह..हाल तो बेहाल हुआ लगता है
जवाब देंहटाएंवाह-वाह...क्या बात है...
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