खुशी की बात करते हो मगर खुश हो नहीं सकते...
हमें अपना नहीं कहते...हमारे हो नहीं सकते...!!
जो रातों की सियाही को उजाला कर नहीं पाए...
सुबह हमने दिखाई...तुम उजाला कर नहीं सकते...!!
हजारों ख्वाहिशे दिल की तुम्हारे चार सू फैलीं...
हमारी बंदगी पर...अब इशारा कर नहीं सकते...!!
कभी मांगी थी बस मैंने तेरे दिल की नियामत ही...
हुई अब देर काफी...तुम शिकायत कर नहीं सकते...!!
तेरी फितरत में है बस घूमना औ घूमते रहना...
किसी इक शख्स की जानिब...वफ़ा तुम कर नहीं सकते..!!
खुदा गर है कहीं तो राह मुझको मिल ही जायेगी...
हमारी ज़िंदगी को...हम भी जाया कर नहीं सकते...!!
बहुत खूब ... ज़िंदगी को ज़ाया करना भी नहीं चाहिए ।
जवाब देंहटाएंजीवन अनमोल है, जिया जाये।
जवाब देंहटाएंखुशी की बात करते हो मगर खुश हो नहीं सकते...
जवाब देंहटाएंहमें अपना नहीं कहते...हमारे हो नहीं सकते...!!
खुबसूरत ग़ज़ल |
latest post महिषासुर बध (भाग २ )
बहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : लुंगगोम : रहस्यमयी तिब्बती साधना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 19/10/2013 को प्यार और वक्त...( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 028 )
- पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....
वफ़ा करना हमारी आदत हैं...तुम चाहे कुछ भी समझो....उम्दा रचना
जवाब देंहटाएंखुदा गर है कहीं तो राह मुझको मिल ही जायेगी...
जवाब देंहटाएंहमारी ज़िंदगी को...हम भी जाया कर नहीं सकते...!!-------
जीवन को प्रेम के रंगों डुबोती और समझाती रचना
कि जीवन क्या है ,प्रेम क्या है-----
बहुत सुंदर रचना
सादर
आग्रह है मेरे ब्लॉग सम्मलित हों
http://jyoti-khare.blogspot.in