गुरुवार, 11 अप्रैल 2013

खोज......







जो पढ़ सको तो...मेरी नज़रों को पढ़ो..
जो भी देखोगे....नायाब दिखेगा...!
कर सको तो...जरा महसूस करो...
मेरी सांसों में इक तूफ़ान मिलेगा...! 
बदहवासी तेरी ले आई कहाँ तुझको 
इस जहाँ में तो तुझे कुछ न मिलेगा...!
तेरी भटकन...तेरी उलझन बन गयी...
मुझे न तू मिला....तू खुद से न मिलेगा...!
खो गया तू अगर इन आँखों में मेरी...
तुझको अपना ही इक जहान मिलेगा...!




सोमवार, 8 अप्रैल 2013

परिचय........





वो पूछते हैं....
मुझसे मेरा परिचय....!
क्या बताऊँ मैं ?
पहले खुद भी तो पा लूं...!
अभी तक तो 
दूसरों से सुन कर ही जाना 
जिसने भी जिस नाम से पुकारा
मैं ने उसे ही अपना परिचय माना...!
फिर कुछ समय बाद लगा
नहीं.....
मैं ये नहीं हूँ...
कुछ और ही हूँ...!!
और तभी से खोज जारी है...
खुद को खोजने की...!
अपना परिचय पाने की...!
शायद कुछ हासिल हो सके...
ये मुसलसल दौड़...
कहीं तो रुक सके....!
मैं किसी के दिए नाम से 
अपना परिचय नहीं दे सकती...
अपनी पहचान को 
किसी की पहचान के साथ भी
नहीं जोड़ सकती...!
तुम्हें भी इंतज़ार करना होगा...
मेरे ही साथ तब तक...!
मैं तब ही दे सकूँगी तुम्हें...
अपना वास्तविक परिचय...
जब मैं खुद अपना परिचय 
खुद से कर पाऊँगी....!
तुम इंतज़ार करोगे न.....??
बोलो..........!!!

***पूनम***
बस अभी अभी....
क्यूँ कि 
इससे पहले 
कभी सोचा ही नहीं....!!





गुरुवार, 4 अप्रैल 2013

शब्द और भाव.....





तुम्हारे पास शब्द बहुत हैं...
और मेरे पास भाव...!
तुम्हारे शब्दों... 
और मेरे भावों में..
बस आपसी समझदारी का अभाव है...!
तुम शब्दों में जो समझाना चाहते हो...
मेरे भाव उसे समझने से इंकार करते हैं...!
और मेरे भावों को समझने से 
तुम सरासर मुकर जाते हो...!
इस जद्दोज़हद में..
अक्सर शब्द अपने मायने खो देते हैं....!
और भाव.....
भाव तो वैसे ही पिछड़े रहते हैं...
क्यूँ कि उनके पास अपने शब्द नहीं है.....!!



बुधवार, 3 अप्रैल 2013

वफ़ा.......





वल्लाह न कहूँ तो बता और क्या कहूँ...
हर हर्फ़ तेरा दिल में उतरता चला गया...!

मायूस जब हुआ...तू आ गया मेरे करीब 
थी जब उदास मैं...तू निखरता चला गया...!!

एक डर उसे था और वो बेखबर भी तो न था 
वो शख्स भी अजीब था..इस दर से जो गया...!!

राहे वफ़ा की होती हैं....आसान ही बहुत...
नादाँ है हमसफ़र जो बहुत दूर तक गया...


***पूनम***
(अभी अभी)



सोमवार, 1 अप्रैल 2013

कोई तो है.....










कोई तो है....जो मेरा इंतज़ार करता है..
दिल,तमन्ना औ' हम पे जां निसार करता है..!

मेरे दीदार को तरसे हैं...किसी की ऑंखें...
वो एक शख्स.....बहुत मुझसे प्यार करता है..!

न नाम है कोई..और न कोई शक्ल-ओ-सूरत 
कोई तो है....जो मेरे साथ साथ चलता है...!

कोई जो पूछे तो...कैसे बताऊँ मैं उसको..
कौन है वो मेरा...क्यूँ मुझको प्यार करता है..!

बड़ा बेख़ौफ़ है वो शख्स ज़माने भर से...
बन के हमसाया मेरे साथ साथ चलता है....!

आज की शाम थी कुछ अजीब सी....