बुधवार, 3 अप्रैल 2013

वफ़ा.......





वल्लाह न कहूँ तो बता और क्या कहूँ...
हर हर्फ़ तेरा दिल में उतरता चला गया...!

मायूस जब हुआ...तू आ गया मेरे करीब 
थी जब उदास मैं...तू निखरता चला गया...!!

एक डर उसे था और वो बेखबर भी तो न था 
वो शख्स भी अजीब था..इस दर से जो गया...!!

राहे वफ़ा की होती हैं....आसान ही बहुत...
नादाँ है हमसफ़र जो बहुत दूर तक गया...


***पूनम***
(अभी अभी)



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