शनिवार, 9 जून 2012




प्रेम........
उसके आस-पास का सारा  तिलिस्म 
खत्म हो जाता है 
ये जानते ही
कि उसके आसपास जो जादू था
वो छल था .....
और
दया भर थी....!!
और फिर प्रेम भरे 
उस चेहरे को दुबारा जिलाना 
उतना ही मुश्किल हो जाता है 
जितना मरे हुए को 
फिर से सांसें देना....!! 
क्यूंकि....
प्रेम भरोसा दिलाता नहीं.... 
खुद-ब-खुद भरोसा हो जाता है 
और जब कोई तोड़ दे इसे तो..
फिर उसी के बार बार
भरोसा दिलाने पर भी 
भरोसा नहीं होता.....!! 
लेकिन प्रेम न मरता...
न खत्म होता दिल से....
बस खत्म होता है तो प्यार पे,
किसी पे भी भरोसा.....!! 
प्रेम कोई वादा नहीं.....
प्रेम.....सिर्फ होता है......
वादा न लेता है...
न  वादा देता है.....
फिर भी एक-दूसरे की आँखों में,
बातों में,साथ में और हर स्पर्श में 
न जाने कितने अनगिनत वादे 
यूं ही हो जाते हैं!
कैसे करेगा कोई वादा 
किसी को चाहने का.....
और अगर वादा किया 
तो उसके टूटने की आशंका 
हमेशा बनी रहेगी मन में...!
ये अलग बात है 
लोग प्रेम में धोखा देते हैं...
धोखा खा जाते हैं...
लेकिन इसका एहसास भी 
हो जाने के बाद ही होता हैं...!!



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तो भैया....
बस प्रेम कीजिये....
न वादा कीजिये.... 
न वादा लीजिये....
जिसे वादा तोड़ना हो 
तोड़ने दीजिये....
जब आपको प्रेम की अनुभूति हो तो 
उसका आनंद लीजिये....
खुश रहिए....
दूसरों को भी खुशी दीजिये प्रेम से......
इसे महसूस कीजिये दिल से....
पूरे दिल से...
डूब जाइए इसी में.....
टूट जाये तो सोग न मनाइए....
बल्कि धन्यवाद दीजिये उसे 
जिसने आपको प्रेम करना 
या प्रेम में होना सिखाया...
एक अनुभूति दी...
एक मीठा सा एहसास दिया...
उसने कुछ दिया ही आपको....
और देखा जाए तो 
नुकसान में भी वही रहा.....
आपके प्रेम का खजाना  
जो उसका हो सकता था....
आपके पास ही छोड़ गया...!!




13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी सीख दी है आपने अपनी इस कविता से,पूनम जी.

    'तो भैया.....
    बस प्रेम कीजिये
    न वादा कीजिये
    न वादा लीजिए...'

    कोशिश करते हैं जी.
    वादों की धुंध से बच बच कर.

    पर माया जाल तो बहुत सघन है,पूनम जी.
    प्रभुभक्ति रुपी टार्च का सहारा चाहिये.

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  2. सही कहा पुनमजी .....अगर कोई आपके प्रेम को नहीं आंक पाता...तो नुकसान उसका है ...आपने तो कुछ नहीं खोया ...अलबत्ता उसने एक सच्चा मित्र खो दिया

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  3. आपकी प्रेम की पाठशाला ने बहुत कुछ सिखा दिया पूनम जी....
    हर बात सीधी और सच्ची.....

    सस्नेह

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  4. प्रेम कोई वादा नहीं.....
    प्रेम.....सिर्फ होता है.....
    वादा न लेता है..
    न वादा देता है.....
    xxxxxxxxxxxxxxx
    लोग प्रेम में धोखा देते हैं...
    धोखा खा जाते हैं...
    लेकिन इसका एहसास भी
    हो जाने के बाद ही होता हैं...!!

    प्रेम के वास्तविक रूपों को सामने लेट यह शब्द चित्र प्रासंगिक हैं और वास्तविक पहलूओं को उजागर करते हैं ....!

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  5. सच कहा आपने, वादों विवादों में उलझ जाता है प्रेम..

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  6. or dekha jaye to nuksaan bhi usi ka huaa jo prem ka khajana uska ho sakta tha wo aapke pas hi chhod gaya.....
    wah bahut hi gahri baat...

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  7. बहुत बहुत सुन्दर,,,,हर बात बेहतरीन है....
    बेहतरीन रचना...

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  8. प्रेम का पाठ बहुत सरलता और सहजता से पढ़ा दिया ...बहुत खूब

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  9. गहन और गहन प्रेम की सुन्दर व्याख्या.....बहुत ही सुनदर दीदी ।

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