आप से अब कोई गिला भी नहीं..
और कोई हमें मिला भी नहीं..!
देर तक जागती रही आँखें..
ख्वाब का कोई सिलसिला भी नहीं..!
हमने बदली हैं इस तरह राहें..
साथ में कोई काफिला भी नहीं..!
इस तरह उसने फेर ली नज़रें..
दिल जो मुरझाया फिर खिला भी नहीँ..!
हमसे मिलने की भी नहीं फुर्सत..
आप इतने तो मुब्तिला भी नहीं..!
याद करना पड़ेगा 'पूनम' को..
आपसे अब मुकाबिला भी नहीं..!
***पूनम***
आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 06 जुलाई 2016 को लिंक की गई है............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंयशोदा जी...
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका....लेकिन मेरे कई प्रयासों के बाद भी मैं हलचल कि पोस्ट पर नहीं जा सकी...शुक्रिया अन्य गुणीजनों के साथ मेरी रचना को स्थान देने के लिए...!