अभी हम ने जहाँ देखा कहाँ है..
तेरे पहलू में दिल होता कहाँ है..!
तेरे पहलू में दिल होता कहाँ है..!
तुम्हें हम याद करते ही रहे हैं..
तुम्हें हम याद हों ऐसा कहाँ है..!
तुम्हें हम याद हों ऐसा कहाँ है..!
कभी उस आँख में बस हम बसे थे..
मगर वो शख्स अब मेरा कहाँ है..!
मगर वो शख्स अब मेरा कहाँ है..!
हमारा दिल है तेरा आशियाना..
मगर अब तू यहाँ रहता कहाँ है..!
कभी आओ हमारे पास गर तुम..
यहीं रह जाओ अब जाना कहाँ है..!
bahut sundar
जवाब देंहटाएंbahut sundar bhav liye huye rachna...
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, मटर और पनीर - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंवाह बहुत सुन्दर ... प्रेम के रंग में पगी रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर। प्यार का इसरार ।
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