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शनिवार, 4 अक्तूबर 2014

आप की दिल्लगी को क्या कहिये.....





आप की दिल्लगी को क्या कहिये..
आप ही न सुने..तो क्या कहिये..!

हम तो जागा किये हैं रातों को..
आप ही सो गये..तो क्या कहिये...!!

इश्क में आपके नशा सा है..
हम नहीं होश में..तो क्या कहिये..!

फूल ही फूल हर तरफ दिखते..
आप ही हैं चमन..तो क्या कहिये..!

मैं कहूँ और आप आ जाएँ..
ऐसी किस्मत नहीं..तो क्या कहिये...!

रात बीती वो सुबह आई है..
रौशनी हो गयी..तो क्या कहिये...!

आप आये तो मेरी महफिल में..
मुस्कुराई फिजा..तो क्या कहिये...!

बेकरारी में भी करार मिले..
आप आयें अगर..तो क्या कहिये...!

राह पर अब निगाह है मेरी..
उनकी आहट मिली..तो क्या कहिये...!

कान में गुनगुना गया कोई..
वो नहीं सामने..तो क्या कहिये...!

चाँदनी इस कदर है शरमाई..
रात पूनम हुई..तो क्या कहिये..!


***पूनम***
5/10/2014


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