जीना......
जिंदगी के कुछ क़र्ज़....
उतरते ही नहीं कभी-कभी...!
कितने सपने बेचे....
कितने दर्द लिए...! 
कुछ जाने...
कुछ अनजाने....
एहसास भी कम किये....! 
कुछ सुकूं तो मिला.. 
जीने के लिए....!
लेकिन जीने के लिए 
अपना होना ज़रूरी है.....! 
बस वही बच गया है अब.....! 
हाँ......
मैं अब खुश हूँ......!!
 
 
 
 
          
      
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
अति सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंहालांकि भाव समझने में ज़रा डगमगा गए हम...
सस्नेह
अनु
अपना होना ज़रूरी है.....!
जवाब देंहटाएंबस वही बच गया है अब.....!
संभालना ....
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हाँ......
मैं अब खुश हूँ......!!
किसी की नजर ना लगे !!
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
लाज़वाब अहसास...
जवाब देंहटाएंजीने को क्या चाहिये, मन न जाने
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंजीने के लिए
ख़ुद को ख़ुद का होना ज़रूरी है …
सच है
पूनम जी !
खूबसूरत रचना !
हमेशा ख़ुश रहिए … … …
पूरे मन से शुभकामनाएं…
कोई भ्रम बना रहे ... जीना आसान हो जाता है
जवाब देंहटाएंbahot achchi lagi.
जवाब देंहटाएंमुझे मालुम न था की आप भी ब्लॉग लिखती हो.... देखता हूँ ,एक दिन पूरा बैठकर पढूंगा .. ये नज़्म कुछ अपनी सी लगी .
जवाब देंहटाएंविजय