शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

नया सा नूर जैसे छा रहा है....





नया सा नूर जैसे छा रहा है... 
अँधेरा दूर होता जा रहा है...!

कोई बैठ़ा पस-ए-चिलमन है गोया, 
हमारे दिल को जो धड़का रहा है...!

गुजारी हिज़्र में इक उम्र हमने...
करीब अब वक़्त हमको ला रहा है..!

बहुत शिद्दत से चाहा है उन्हें पर... 
न जाने दिल क्यूँ धोखा खा रहा है...!

हमारी बज़्म हो उनको मुबारक..
वो आये...उठ के कोई जा रहा है...!

नहीं हम प्यार करते हैं किसी से... 
तो 'पूनम' दिल क्यूँ उन पे आ रहा है..!


***पूनम***


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