गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015

दाँव......



मेरे सामने आते ही
तुम्हारे चेहरे की
सारी परतें उतरने लगती हैं
तुम्हारा झूठ
तुम्हारे ही ठहाकों के साथ
उतने ही जोर से 
बोलने लगता है
तुम्हारे जोर से कहे हुए
हर शब्द के पीछे से
तुम्हारे आँखों में छुपी
ग्लानि चीखने लगती है
लोगों को भले ही
तुम कुछ भी बताओ
लेकिन मेरे सामने 
तुम्हारी जुबां से निकले 
हर शब्द निरर्थक हो जाते हैं...!
जानते हो क्यूँ...??
क्यूँकि...
तुमने अपने जीवन में
शरीर और मन की
सत्यता और पवित्रता...
दोनों को दाँव पर लगा दिया है...!!

***पूनम***


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