शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

                              

चाह

ज़िन्दगी कुछ अजीब सी
रंगीन हों गई है !
शाम के बाद फिर
रात हसीन हो गई है !!
है इंतज़ार जिसका.....
आता है दबे पाँव वो,
मुस्करा के बंद करता है...
मेरी आँखों को
अपने हाथ से वो,
तू मेरा प्यार है...
मन में छुपा हुआ है मेरे,
ऐ खुदा !!
यूं न छुपा  खुद को
सामने आजा मेरे !!! 

7 टिप्‍पणियां:

  1. नए अंदाज में एक खूबसूरत एहसास| धन्यवाद|

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  2. bahut khubsurat rachna, jindagi ke falsafe ki bilkul naya kalewar diya hai aapne Waah

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  3. bahut hi khoobrurat rachna .....wah kya waat hai
    Punam ji kya kahoon is rachna ke baare mein .... lajawaab ...

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  4. ... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।

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  5. जो मन में छुपा बाहर आए
    हसरतें पूरी हो जाए
    मुलाक़ात खुदा से हो ये
    दुआ मेरी
    इज़हार खुदा की चाहत का
    बखूबी किया
    जब मिल जाए
    इज़हार मुलाक़ात का भी करना कलम से यूँ ही लिखते रहना
    अच्छी अभिव्यक्ती

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