शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010

चाहतें---                                                                                                                                                                                                        चाहतें जिंदगी की  
इतनी ढेर सारी......
कि-
हम दौड़ते रहते हैं  
उनके पीछे-पीछे,
उन्हें पूरा करने के लिए
लेकिन...
वो आगे-आगे ही
भागती जाती हैं हमसे .
फिर एक दिन ऐसा आता है कि..
हम उन्हें ख्वाबों में जीने लगते हैं
हर समय,हर जगह
उन्हें ही साथ लिए फिरते हैं
लेकिन ज़िन्दगी की सच्चाई
ये भी नहीं सह पाती
बार-बार इन चाहतों को
हमारे ख्वाबों से अलग करना चाहती है.
सच भी है..
अगर हम चाहें तो
इन ख्वाबों को सच कर सकते हैं
बस ज़िन्दगी की सच्चाई को
दर-किनार करना होगा...
सच्चाई तो सच्चाई ही रहेगी
बस...
हमें अपने आप से लड़ना होगा !!!!!

9 टिप्‍पणियां:

  1. सच्चाई तो सच्चाई ही रहेगी
    बस...
    हमें अपने आप से लड़ना होगा !!!!!
    xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
    आदरणीय Punam जी
    सादर प्रणाम
    आपने बहुत सही कहा है ....सच्चाई तो सच्चाई ही रहेगी ...शुक्रिया

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  2. हमें अपने मन के विकारों से लड़ना होगा एक सही इंसान कहलाने के लिए ....यह सच है

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  3. आपके लेखन ने इसे जानदार और शानदार बना दिया है....

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  4. कल 01/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  5. सुन्दर रचना....
    “जीत रे मन स्वयम को, जीत यही है जीत
    भीत हर ले तू मन का, फिर जग सुन्दर गीत.”
    सादर...

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  6. ज़िंदगी की सच्चाई से लडने को प्रेरित करती अच्छी प्रस्तुति

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  7. khud kaa yuddh khud ko hee ladnaa padtaa
    hasrat ho yaa chaahat ho
    ummeed aur zazbaa hee unhein pooraa kar saktaa...phir chaahat kaa ant nahee hotaa..bul bule ke samaan ichhaayein nirantar uthtee rahtee,santushtee hee inse door rakh saktee

    aapkee chaahat kee vyakhyaa achhee lagee

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