चाहतें--- चाहतें जिंदगी की
इतनी ढेर सारी......
कि-
हम दौड़ते रहते हैं
उनके पीछे-पीछे,
उन्हें पूरा करने के लिए
लेकिन...
वो आगे-आगे ही
भागती जाती हैं हमसे .
फिर एक दिन ऐसा आता है कि..
हम उन्हें ख्वाबों में जीने लगते हैं
हर समय,हर जगह
उन्हें ही साथ लिए फिरते हैं
लेकिन ज़िन्दगी की सच्चाई
ये भी नहीं सह पाती
बार-बार इन चाहतों को
हमारे ख्वाबों से अलग करना चाहती है.
सच भी है..
अगर हम चाहें तो
इन ख्वाबों को सच कर सकते हैं
बस ज़िन्दगी की सच्चाई को
दर-किनार करना होगा...
सच्चाई तो सच्चाई ही रहेगी
बस...
हमें अपने आप से लड़ना होगा !!!!!
सच्चाई तो सच्चाई ही रहेगी
जवाब देंहटाएंबस...
हमें अपने आप से लड़ना होगा !!!!!
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आदरणीय Punam जी
सादर प्रणाम
आपने बहुत सही कहा है ....सच्चाई तो सच्चाई ही रहेगी ...शुक्रिया
हमें अपने मन के विकारों से लड़ना होगा एक सही इंसान कहलाने के लिए ....यह सच है
जवाब देंहटाएंआपके लेखन ने इसे जानदार और शानदार बना दिया है....
जवाब देंहटाएंकल 01/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएं“जीत रे मन स्वयम को, जीत यही है जीत
भीत हर ले तू मन का, फिर जग सुन्दर गीत.”
सादर...
badhiya post
जवाब देंहटाएंज़िंदगी की सच्चाई से लडने को प्रेरित करती अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंbahut badhiya kavita...
जवाब देंहटाएंkhud kaa yuddh khud ko hee ladnaa padtaa
जवाब देंहटाएंhasrat ho yaa chaahat ho
ummeed aur zazbaa hee unhein pooraa kar saktaa...phir chaahat kaa ant nahee hotaa..bul bule ke samaan ichhaayein nirantar uthtee rahtee,santushtee hee inse door rakh saktee
aapkee chaahat kee vyakhyaa achhee lagee