
लम्बे-लम्बे बांसों के झुरमुट में,बड़े-बड़े पेड़ों के बीच,ऊँची-ऊँची इमारतों और मकानों के बीच में जैसे कुहासा अपनी जगह बना लेता है,हर छोटे-बड़े space को भर देता है,मन की शान्ति भी कुछ उसी तरह है..एक बार गर space बनाने लगे तो हर जगह,हर सम्बन्ध और रिश्ते में,किसी भी स्पर्श में,किसी भी emotion में पैर पसारती जाती है.. ऊपर-ऊपर से तो आप हिले हुए दिखाई देते हैं लेकिन भीतर-भीतर कुछ पसरता जाता है कुहासे की तरह....शांति-शांति-शांति....