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शुक्रवार, 18 दिसंबर 2020

जमाने से बगावत हो गयी है....




हमें जब से मुहब्बत हो गयी है...
जमाने से बगावत हो गयी है....!

दिवाने से बने हम घूमते हैं...
उसी की एक चाहत हो गयी है...!

जो रहता है अभी भी दिल में मेरे...
उसी से क्यूँ मसाफ़त हो गयी है...!

मिलीं नाकामियाँ उल्फ़त में हमको...
न जाने क्या कयामत हो गयी है...!

मुहब्बत की लगाता बोलियाँ वो ...
मुहब्बत भी तिज़ारत हो गयी है...!

नहीं अपनी हिफाज़त कर सके हम...
तुम्हारी ही इनायत हो गयी है...!

समन्दर सा मेरी आँखों में मचले...
न जाने क्या नदामत हो गयी है...!

दिलों में दूरियाँ बढ़ने लगी हैं...
खुदाया क्या रवायत हो गयी है...!

नहीं अब देखता मेरी तरफ वो...
ये कैसे उसकी ज़ुर्रत हो गयी है..!

पनाहों में तेरी हमको सुकूँ है...
तेरी 'पूनम' को आदत हो गयी है...!

***पूनम***


गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

'ज़ाहिर से हैं आज बहाने देखे हैं....'




हमने तुम से लाख दिवाने देखे हैं...
छलक पड़े खाली पैमाने देखे हैं...!

कहने को तो अपने हैं दुनिया में सब...
मौके पर बनते बेगाने देखे हैं...!

हमने जिनकी ख़ातिर जग से बैर लिया...
रिश्तों में भी वो अनजाने देखे हैं...!

रुक जाते हैं आते आते लब तक जो... 
दिल में ऐसे दफ़्न तराने देखे हैं...!

आँखों ही आँखों में सब कुछ कह डाला...
ज़ाहिर से हैं आज बहाने देखे हैं...!

जिन बातों का राज़ छुपा 'पूनम' दिल में...
उनसे बनते लाख फ़साने देखे हैं...!

***पूनम***

बुधवार, 24 अप्रैल 2019

दिल से निकली हुई दुआ हूँ मैं.....




दिल से निकली हुई दुआ हूँ मैं..
रस्म ए उल्फ़त का सिलसिला हूँ मैं..!

लब़ ए खामोश ग़रचे जाहिर हूँ..
इश्क़ का ऐसा फ़लसफ़ा हूँ मैं..!

मुझको महफ़िल में कर दिया रुसवा...
बेवफ़ा आप, बावफ़ा हूँ मैं...!

बन के ख़ुशबू समा गई दामन...
ज़ुल्फ लहराए वो हवा हूँ मैं...!

लाख बातें बनाये ये दुनिया...
सच मगर क्या है जानता हूँ मैं..!

अपनी मंज़िल नज़र नहीं आती..
इक मुसलसल सा रास्ता हूँ मैं...!

रात 'पूनम' सी हो गयी रौशन...
ज़ीनते रात हूँ, शमा हूँ मैं...!

***पूनम***

रविवार, 19 अगस्त 2018

बात दिल की सुना गया कोई...



बात दिल की सुना गया कोई...
आस फिर से जगा गया कोई...!

राज़ अब तक छुपाये बैठे थे...
आज सबको बता गया कोई...!

राबिता कुछ न कुछ तो होगा ही...
सारे रिश्ते निभा गया कोई...!

इक नदी मुद्दतों से सूखी थी...
चन्द कतरे बहा गया कोई...!

ज़िन्दगी की उदास राहों में...
ख़्वाब रंगीं सजा गया कोई...!

कुछ तो है रूठने मनाने में...
शबनमी गुल खिला गया कोई...!

रात 'पूनम' की दिल ने दस्तक दी..
बन के मेहमान आ गया कोई..!

***पूनम***


बुधवार, 25 जुलाई 2018

कुछ तुम कहो....कुछ हम कहें...





भाषा कोई भी हो..
उदासी छुपाये नहीं छुपती,
और पराजित चेहरा..
लाख रोशनी के बाद भी
बुझा सा ही दीखता है...!

सपनों का अस्तित्व नकारना..
न तुम्हारे बस में है,
और न मेरे...!
कोई भी शक्ति कारगर न होगी प्रिये...!

आँखों में उतर आती है..
माथे की बेचैनी,
और आँखें पढ़ना...
बहुत ही आसान होता है...!

चलना तो होगा ही..
चाहे कोई भी मार्ग हो...!
पगडंडी बनाने वाले भी..
ख़्वाब में राजमार्ग की चाह रखते हैं..!

हाँ, मगर नदियाँ तो...
राजमार्गों के नज़दीक से गुज़रती ही नहीं..!
कोई भी नहीं गुजरती है... 
राजमार्गों के नज़दीक से....!
उनका प्रेम...
कच्ची और टेढ़ी मेढ़ी...
पगडंडियों से ही रहा है सदा..!

प्यासे सपनों की खेती..
दिल के बंजर टुकड़े पर नहीं होती,
उसके लिए मन का...
गीला होना ज़रूरी होता है...!

तो चलो उस रास्ते पर...
जो किसी भी हद तक न पहुँचे...
क्यूँ कि मन का कोई छोर नहीं होता...!

***पूनम***


बुधवार, 4 जुलाई 2018

**प्यार को चाहिए क्या....**




आप से अब कोई गिला भी नहीं
और कोई हमें मिला भी नहीं..!

देर तक जागती रही ऑंखें
ख्वाब का कोई सिलसिला भी नहीं..!

हमने बदली हैं इस तरह राहें
साथ में कोई काफिला भी नहीं..!

इस तरह उसने फेर ली नज़रें
दिल जो मुरझाया फिर खिला भी नहीँ..!

हमसे मिलने की भी नहीं फुर्सत...
आप इतने तो मुब्तिला भी नहीं..!

याद करना पड़ेगा 'पूनम' को...
आपसे अब मुकाबिला भी नहीं..!

***पूनम***



सोमवार, 29 जनवरी 2018

रूह को किसने देखा है...





होठों को भींच लेने से क्या होगा...
तुम्हारा नाम जो
मुसलसल दिल ही दिल में...
लिया जा रहा है...
उसे कैसे बंद करे कोई...!
क्या मिट सकेगी तुम्हारी पहचान मिटाने से...
वो ढुलके हुए आँसुओं के नमकीन निशान...
गालों पर सूख तो गए
लेकिन आज भी नज़र आते हैं...!
वो तपते लबों की आंच....
वो बाँहों की पकड़...
नील भले ही न नज़र आये तन पर....
लेकिन वो एहसास आज भी है...
जो तुम इन सबके साथ
छोड़ गए हो मेरे पास... !
रूह को किसने देखा है...
प्यार के लिए
ये जनम ही काफी है...!
है न....!!



***पूनम***

23 जनवरी, 2016