बात दिल की सुना गया कोई...
आस फिर से जगा गया कोई...!
राज़ अब तक छुपाये बैठे थे...
आज सबको बता गया कोई...!
राबिता कुछ न कुछ तो होगा ही...
सारे रिश्ते निभा गया कोई...!
इक नदी मुद्दतों से सूखी थी...
चन्द कतरे बहा गया कोई...!
ज़िन्दगी की उदास राहों में...
ख़्वाब रंगीं सजा गया कोई...!
कुछ तो है रूठने मनाने में...
शबनमी गुल खिला गया कोई...!
रात 'पूनम' की दिल ने दस्तक दी..
बन के मेहमान आ गया कोई..!
***पूनम***
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, परमात्मा को धोखा कैसे दोगे ? - ओशो “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 22 अगस्त 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
वाह!!बहुत खूब!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और जज़्बाती ग़ज़ल पड़कर मज़ा आ गया।धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसुंदर!!!
जवाब देंहटाएंप्रेम के इस असर को प्रकृति बाखूबी समझती है और उसी के प्रतीक बेहतर तरीके इस इसे बयां भी कर सकते हैं ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब शेर हैं सभी ...
बढ़िया है सारे शेर...बहुत सुंदर रचना..👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा हर शेर सहज और सटीक ।
जवाब देंहटाएंरात 'पूनम' की दिल ने दस्तक दी..
जवाब देंहटाएंबन के मेहमान आ गया कोई..!
बहुत सुंदर