शनिवार, 19 नवंबर 2016

चाँद पहलू में 'पूनम' के खामोश है...








खोजती हूँ कहीं तो ठिकाना मिले...
आप मिल जायें तो इक सहारा मिले..!

कब से मायूस हूँ, चाहती हूँ ख़ुशी...
मेरी नज़रों को ऐसा नज़ारा मिले...!

हाल खस्ता मेरे तो जमाने से हैं...
या खुदा अब कोई तो खज़ाना मिले...!

चाहता दिल मेरा गीत गाना मगर...
ढंग का कोई तो इक तराना मिले...!

बेसबब बेवजह है किसे ढूँढता....
इस जहां में कोई तो हमारा मिले...!

चाँद पहलू में 'पूनम' के खामोश है...
जो खिले रात को वो शरारा मिले...!


***पूनम***



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