रविवार, 17 जुलाई 2016

जब से नज़रों में तू समाया है....



जब से नज़रों में तू समाया है..
हर तरफ इक नशा सा छाया है...!

देख कर होश गुम हुए मेरे..
तूने नज़रों में क्या मिलाया है ..! 

बेख़ुदी और  बढ़ गई मेरी..
दूर रह कर हमें सताया है...!

हिज़्र की बात भूल बैठे हैं..
वस्ल ने हौसला बढ़ाया है...!

मुन्तज़िर तो तेरा ज़माना था..
तूने अपना हमें बनाया  है...!

हौसला तू भी देख 'पूनम' का..
नाम लब पर न तेरा आया है...!

***पूनम***

गुरुवार, 14 जुलाई 2016

यूँ लगे है कि आ गया कोई.....







इक खराबा बसा गया कोई...
प्यार फिर से जता गया कोई..!

ख्वाब रूठे थे मुझसे बरसों से..

आज सपने जगा गया कोई..!

बिन पिए इक नशा सा रहता है..

होश ऐसे उड़ा गया कोई..!

नींद में उठ के बैठ जाती हूँ..

यूँ लगे है कि आ गया कोई..!

रात की बात क्या करें 'पूनम'..

बुझ चुकी लौ जला गया कोई..!


***पूनम***


गुरुवार, 7 जुलाई 2016

आज फिर जम के प्यार बरसा है






आज फिर जम के प्यार बरसा है...
इसलिए मेरा यार बहका है...!

फूल गुलशन में इस तरह हैं खिले...
आज हर एक जिस्म महका है..!

बात बनती हुई नहीं दिखती...
आज उसने नकाब पलटा है..!

सबकी नज़रें बदल गयी हैं यूँ...
इस जमाने का दौर बदला है...!

चाँद के पहलु चाँदनी आई...
चार सू एक शोला दहका है...!

हमने अब तक तुझे नहीं देखा...
फिर भी तू आस पास रहता है..!

हमने चाहा कि रोक लें इसको...
बन के दरिया सा इश्क़ बहता है..!


***पूनम***



सोमवार, 4 जुलाई 2016

प्यार को चाहिए क्या.....एक नज़र...एक नज़र



आप से अब कोई गिला भी नहीं..
और कोई हमें मिला भी नहीं..! 

देर तक जागती रही आँखें..
ख्वाब का कोई सिलसिला भी नहीं..!

हमने बदली हैं इस तरह राहें..
साथ में कोई काफिला भी नहीं..!

इस तरह उसने फेर ली नज़रें..
दिल जो मुरझाया फिर खिला भी नहीँ..!

हमसे मिलने की भी नहीं फुर्सत..
आप इतने तो मुब्तिला भी नहीं..!

याद करना पड़ेगा 'पूनम' को..
आपसे अब मुकाबिला भी नहीं..!


***पूनम***