मंगलवार, 29 अक्टूबर 2013

आओ...एक दीप जलाएं....





कभी जब हो उदासी तुम पे छाई...मुस्कुराओ तुम...
जलाओ एक दीपक प्रेम का...और गीत गाओ तुम...!
अँधेरा अपने घर के साथ...जग का दूर कर दो तुम...
कभी रोते हुए बच्चे के संग संग खिलखिलाओ तुम...!!




***पूनम***



बुधवार, 16 अक्टूबर 2013

वफ़ा तुम कर नहीं सकते.....





खुशी की बात करते हो मगर खुश हो नहीं सकते...
हमें अपना नहीं कहते...हमारे हो नहीं सकते...!!

जो रातों की सियाही को उजाला कर नहीं पाए...
सुबह हमने दिखाई...तुम उजाला कर नहीं सकते...!!

हजारों ख्वाहिशे दिल की तुम्हारे चार सू फैलीं...
हमारी बंदगी पर...अब इशारा कर नहीं सकते...!!

कभी मांगी थी बस मैंने तेरे दिल की नियामत ही...
हुई अब देर काफी...तुम शिकायत कर नहीं सकते...!!

तेरी फितरत में है बस घूमना औ घूमते रहना...
किसी इक शख्स की जानिब...वफ़ा तुम कर नहीं सकते..!!

खुदा गर है कहीं तो राह मुझको मिल ही जायेगी...
हमारी ज़िंदगी को...हम भी जाया कर नहीं सकते...!!




शनिवार, 12 अक्टूबर 2013

खरामा खरामा......











चले आ रहे हैं खरामा खरामा 
वो अपनी नज़र को झुकाए झुकाए...!

नहीं हमने देखी कभी ऐसी शोखी..
है गिरती नजर से झुकाए झुकाए...!

कभी छोड़ देते हैं दिल पर निशानी
परेशां भी खुद किस तरह से मिटाए...!

वो बैठे हैं महफ़िल में कर के किनारा..
खुदारा कोई उनको न देख पाए...!