मंगलवार, 20 नवंबर 2012

तितली या कठपुतली मत बनिये -महादेवी वर्मा


खंडवा ( मध्य प्रदेश ) के शासकीय कन्या महाविद्यालय में दिया गया प्रखर चिंतक--कवियत्री महादेवी वर्मा का यह व्याख्यान आप को साझा कर रही हूँ ! इसके लिए मैं आभारी हूँ श्री सुनील दत्ता जी  और  "लोक गंगा" पत्रिका की जहाँ से मैंने इसे प्राप्त किया .......



तितली या कठपुतली मत बनिये -महादेवी वर्मा

          मुझे पता नहीं था कि आप के बीच आना है दिन भर घूमती रही अन्त में यहाँ आई हूँ तो बहुत थकी हूँ | आप से बहुत बात करना चाहती थी लेकिन बंधुओ ने मौका नहीं दिया | अब आप से इतना कहना चाहती हूँ कि  भारत का भविष्य आपके हाथ में है , लड़को के हाथ में नही है हमारे यहाँ लड़की जन्म लेते ही पराई हो जाती है | सब कहते है , अरे , लड़की हो गई, जो सुनता है , आह कर के रह जाता है और जब वह बड़ी होती है तो सब कहते है , पराए घर का धन है , याने वह धन है , सम्पत्ति है , जीवित व्यक्ति नहीं है , सामान है , और अगर किसी ने दहेज कम दिया तो उसे जला देते है , सो हमारे यहा लड़की को बहुत सहना होता है |
                       लेकिन हमारी संस्कृति ने हमें बहुत शक्ति दी है | देखिये , ब्रह्मा के चार मुँह है , सो कोई नहीं जानता उनको क्यों बनाया क्योंकि चार मुँह से हो सकता है , चार तरह की बात करते रहे होंगे | बनाया तो सरस्वती को है | सरस्वती एक बात करती है | हमारे ज्ञान की अधिष्ठात्री है |हाथ में वीणा लिए हुए है , पुस्तक लिए हुए है , अक्षमाला लिए हुए है | समय , हर क्षण का प्रतीक है वो | और समय के लिए सृजन का प्रतीक है |
                               आप देखिये , ऐश्वर्य मिलता है घर मिलता है , लेकिन अगर घर में पत्नी न हो , बहन न हो ,माँ न हो तो कैसा घर है | वास्तव में वह लक्ष्मी है | शिव उस के मस्तक पर है | श्वेताबरा  है , सब को मंगलमय रखती है और जब आसुरी शक्तियाँ ध्वस्त करने लगती है तो वह आसुरी शक्तियों पर आरूढ़ होती है , तब वह सिंहवाहिनी होती है , दुर्गा होती है | बड़ी शक्ति है उसमें | प्रारम्भ में संस्कृति ने हमे महत्व दिया , लेकिन समाज ने धीरे -- धीरे हमारा महत्व छीन लिया , कब छीन लिया ? जब आप कमजोर बनी , सिर्फ लक्ष्मी रह गई , सम्पत्ति बन गई |
                                           आप जो नए युग की नारी हैं , आप को बड़ा काम करना है | अपनी शक्ति को पहचानना है | सम्पत्ति होना अस्वीकार कर दो | सामान है क्या आप ? सब आप को सामान मानते है और अगर पति न रहे , तो जैसे खिलौना फेंक देता है बच्चा , ऐसे स्त्री को फेंक देते है | कानून ने हमें बहुत अधिकार दिए है | लेकिन कानून पात्रता नही देगा | पात्रता आप से आएगी | हमारा युग बड़ा कठिन था | हमे लड़ाई लड़नी पड़ी | पुलिस की लाठियों के सामने , गोलियों के सामने खड़े रहे और फिर पढ़ने के लिए चारों ओर भटकते रहे | आप को सब सुविधायें  है | इसलिए आप देश को बनाइए जैसा  आप बनाएगी , वैसा देश बनेगा | तो आप इस भारत की धरती की तरह , जैसे सीता को भूमिजा कहते है , वैसे भूमिजा है आप...आप सीता बनिये | मान लिया कि  राम रक्षा करने गये थे | वन में चले गये थे कि रक्षा करेंगे , लेकिन रावण के यहाँ  रक्षा कौन करता था सीता की ? वह तो राम लक्ष्मण नहीं थे | उन्हें पता नही था | ढूढ़ रहे थे | सीता ने अपने वर्चस्व से , अपनी शक्ति से अपनी रक्षा की | रावण उसको अपने प्रासाद में भवन में नही ले जा सका | अशोक वाटिका में रखा |
                               और उसकी शक्ति देखिये | अग्नि परीक्षा दी उसने | और उसका तेजस्वी रूप देखिये | जब राम ने कहा , लव -कुश बड़े हो और राम , लव -कुश से हार गये तो उन्होंने सीता से कहा कि अब अयोध्या की महारानी होइए और अयोध्या चलिए | सीता ने इनकार कर दिया | राम ने कहा प्रजा के सामने सिर्फ परीक्षा दे दीजिये | अस्वीकार कर दिया उसने |
                          कोई माता अपने पुत्रो के सामने परीक्षा देती है ? अपने सतीत्व के लिए ? नहीं देती है | तो सीता ने अस्वीकार कर दिया और राम ने जब बहुत कहा तो सीता ने धरती में प्रवेश कर लिया |
अब उस की शक्ति देखिये | वो चाहती तो राम के हाथ पाँव जोडती , अयोध्या की रानी हो जाती , लेकिन उसने नहीं होना चाहा | ऐसा पति जो किसी के कहने से ,पति का कर्तव्य भूल जाए , उसके साथ क्यों जायेगी ? नहीं गई वह | सो मैं बार -बार कहती हूँ | सीता बनो , तुम्हारा उत्तर होना चाहिए , हम तो सीता है ही हम तो धरती की पुत्री है | स्वंय शक्ति रखती है | वह आप का घर बनाती है | आपको सुख देती है | आपको मंगलमय बनाती है | कितने रूपों में पुरुष को सहयोग देती है | वह पति को कितना आत्मत्याग सिखाती है | पुत्र को कितना तेजस्वी बनाती है | वह तो मानव जीवन की निर्मात्री है | जीवन की श्रुति है वह | बड़े से बड़ा व्यक्ति भी उसकी गोद में आएगा , चाहे राम हो कृष्ण हो बुद्ध हो, किसी माता की गोद में किसी माता के आंचल की छाया में बड़ा होगा | उसकी आँखों के सपने अपने आप को देखेगा | वह उसे अंगुली पकड कर चलना सिखाएगी | आप अपने को छोटा मत समझिये |
                               आपके भी कुछ कर्तव्य है | हमने देखा , आधुनिका बनने के लिए , लडकियाँ घंटे भर घुंघराले बाल बनाएगी | आँखों में काजल लगाएगी , होठ रंगेगी , चेहरा रंगेगी | एक जगह हम गये तो रंगे चेहरे वाली लडकियाँ सामने बैठी थीं | हमने कहा , पहले मुँह धोकर आओ , हम तो पहचान नही पाती आप को |
                               आदमी तो आदमी है न | वह आपको कठपुतली बना देता है | आप लड़के को कोई खिलौना दे दीजिये तोड़कर देखेगा | लेकिन लड़की घर बसाएगी , गृहस्थी बसाएगी , घरौदा बनाएगी , उसमें गुड्डे -- गुड्डी बैठाएगी | उनका व्याह रचाएगी , यानी यह सब कुछ जानती है | छोटी लड़की भी | और लड़के को देखिये तो उसकी टांग तोड़ देगा , सर फोड़ देगा | पुरुष का स्वभाव ही आक्रामक है | अगर स्त्री उसे संयम नहीं सिखाएगी तो फिर वह संयम से नही रहता || हमारे युग के एक बड़े व्यक्ति ने कहा कि राष्ट्र स्वतंत्र नहीं होगा , यदि उसकी नारी जो शक्ति है वो स्वतंत्र नही होगी | जितनी कला है वह आप के पास है | जितनी विद्या है , वह आप के पास है | आप तितली या कठपुतली मत बनिये | साक्षात शक्ति स्वरूपा हैं आप | आप शक्ति को पहचानिए और देश को बनाइए | मेरी मंगलकामना आपके साथ है |





6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर....
    नमन महादेवी जी के विचारों और लेखनी को...
    शुक्रिया पूनम जी..

    सस्नेह
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह ! कितना सुंदर भाषण..आभार!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दर .......आभार साझा करने के लिए ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत प्रभावशाली भाषण आज की लड़कियों को सच में इससे सबक लेना चाहिए महादेवी जी को नमन साझा करने के लिए आपका हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं