बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

बांसुरी का राग हूँ मैं........





अनछुए से शब्द मेरे
गीत तुम आवाज़ हूँ मैं,
तान हो तुम बांसुरी की
और उसका  राग  हूँ मैं....  

                     तेरी साँसों सी सुगन्धित
                     तेरी अलकों से सुशोभित, 
                     तेरी पलकों में बसी मैं
                     एक मादक रात हूँ मैं....

तुम मेरे मन में हो प्रियतम
तुमको ही देखूं मैं निसदिन,
हाथ में जब   हाथ तेरा
हर समय मधुमास हूँ मैं....

                      हो भले जीवन ये कंटक
                      चाह तेरी है ये जब तक,
                      भूल कर दुनिया ये सारी
                      एक   तेरे   साथ   हूँ   मैं....


19 टिप्‍पणियां:

  1. समर्पण की भावना बहुत ही प्रेरक है।

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  2. बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजी

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  3. parmaatmaa aapkaa saath banaaye rakhe
    aapkaa writing world mein active honaa sukhad ahsaas hai
    keep it up

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  4. बहुत सुन्दर भक्ति से ओत-प्रोत ये सुन्दर पोस्ट.....कृष्ण की ये तस्वीर भी बहुत सुन्दर है|

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  5. कल 03/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  6. बहुत सुन्दर...
    प्रेममयी रचना..

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  7. समर्पित प्रेम की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...

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  8. Bahut hi sundar rachna..
    bhaktibhaav se poorn.. aur achook lay se saji hui.. :)


    kabhi waqt mile to mere blog par bhi aaiyega.. aapka swagat hai..

    palchhin-aditya.blogspot.com

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  9. खूबसूरत भावों को समेत है .. सुन्दर प्रस्तुति

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  10. हाथ में जब हाथ तेरा
    हर समय मधुमास हूँ मैं

    ...

    वाह आजकल कलम में कमाल कि रवानी छायी हुई है पूनम जी !!

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  11. वाहहहहह ....वाहहहहह....वाहहहहहहहहहह Punam Sinha साहिबा..कमाल की खूबसूरत रचना..बहुत ही सुंदर भावों और सुंदर शब्दों से जादूगरी की है आपने... बाँसुरी का राग और मादक रात ...क्या कहने...वाह वाह वाह ... बहुत उम्दा..

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