शनिवार, 31 दिसंबर 2011

नई सुबह.....






कृष्णा के साथ...
एक नयी सुबह...
१-१-२०१२

इस साल की पहली सुबह पैगाम लेकर आयी है !
हालात जो  बे-मेल से थे,  छोड़ पीछे   आयी   है !!

अच्छा हुआ जो आप मिल बैठे हैं मुझसे राह में !
मतलब के थे जो रिश्ते-नाते छोड़ पीछे आयी है !!

इस साल में सब खुश रहें,फूलें,फलें,गम भूल कर !
दुश्मन हों हमसे  दूर, और  हो दूर जो सौदाई   है !!

हमने तुझे माना है जबसे फूल खिलते चारों सू !
बिखरे हुए हैं रंग जैसे आज होली आयी है !!


आओ लगा ले इस सुबह को हम गले से बार बार !
ऐसी सुबह से ही तो यारों हमने ज़न्नत पाई  है !! 

जो था गया पिछले बरस अच्छा-बुरा जैसा भी था !
सब  भूल  जाएँ !  यह सुबह सन्देश ऐसा लाई   है.....!!


शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

तकिया........




 

३०-९-२००६



तुमने कहा था एक बार
जब कुछ समझ न आये तो
मेरी तरह तकिया लो

और सो जाओ......!
सच में.....
तुम सो सकते हो,
और सोये भी हो
कितनी ही बार
और अभी भी !
पर मैं--
ऐसे में तकिया ले कर भी
नहीं सो पायी हूँ,
हमेशा उसी तकिये के सहारे
कितनी ही रातें
जाग कर काटी हैं मैंने !
अभी तक कितने ही तकिये
गीले किये हैं मैंने....
लेकिन आंसू अभी भी
थम नहीं पाए हैं !
चाह कर भी मैं
तुम्हारी तरह नहीं हो पा रही हूँ
तकिया तो साथ में है
पर सो नहीं पा रही हूँ....!!

 

रविवार, 25 दिसंबर 2011

कुहासा.....




खतौली,देहरादून...
२९-१०-२००७

लम्बे-लम्बे बांसों के झुरमुट में,बड़े-बड़े दरख्तों के बीच, ऊँची ऊँची इमारतों और मकानों के बीच में जैसे कुहासा अपनी जगह खोज लेता है, हर छोटे बड़े space को भर देता है......मन की शान्ति भी कुछ उसी तरह एक बार space बनाने लगे तो हर जगह, किसी भी रिश्ते में, किसी भी स्पर्श में, किसी भी emotion में पैर पसारती चली जाती है. ऊपर से आप भले ही हिले हुए दिखते हैं लेकिन भीतर ही भीतर कुछ पसरता सा जाता है कुहासे की तरह....शान्ति.....शान्ति.....शान्ति....!!!


बुधवार, 21 दिसंबर 2011

रिश्ते...और हम...





मेरी डायरी से ...
बरौनी रिफायनरी
२३-९-२००६


हर रिश्ता ...
बड़े प्यार से,
बड़े लगन से
काफी समय में
बन पाता है
और कभी कभी
instant भी बन जाता है.
फिर भी...
हम उसे संजो कर
नहीं रख पाते हैं !
बनाने के समय
हम कितनी मेहनत 
और कितना प्यार
देते हैं उसे,
लेकिन...
जब बन जाता है
तब casual हो जाते हैं,
taken for granted लेने लगते हैं !
धीरे-धीरे एक-दूसरे की
छोटी-छोटी गलतियों को भी
बड़ा करके देखने लगते हैं,
अपने शब्दों के लिए भी
careful नहीं रह पाते हम !
फिर..
एक समय आता है जब...
वही रिश्ता
जिसे हमने
बड़े प्यार से बनाया था
बोझ लगने लगता है,
क्योंकि...
हमने खुद उसे
अपनी ही बातों से
बोझिल बना दिया होता है...!!




गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

तुम्हारे लिए.....



मेरी डायरी से..
२१-९-२००६
बरौनी रिफायनरी



आज मैं खुश हूँ....
शायद  हाँ !
शायद नहीं !
हाँ,इसलिए कि
मैं आज महसूस कर रही हूँ
कि मुझमें हिम्मत है..
कुछ सोचने की..!!
तुमसे अलग,
तुम्हारे बिना...
तुमसे दूर भी रह सकती हूँ !
और नहीं भी....
क्यूँकि अभी भी तुम मेरे साथ हो
मेरे पास,
मेरे भीतर ही,
चाह कर भी तुम्हें
अपने से दूर नहीं कर पा रही हूँ..
सोचती हूँ बार-बार
कोशिश भी करती हूँ हर बार
कि तुम्हें भुला दूं..
लेकिन मैं तुम्हारी तरह नहीं हूँ
हो भी नहीं सकती,
तुम केवल अपने में जीते हो
और मैं तुम्हारे साथ ही !
मेरे मन का हर कोना
तुम्हारे एहसास से गीला है
और अगर उसे किसी ने सुखाया है
तो वो भी तुम ही हो ! 
हर स्थिति,
हर परिस्थिति में
तुम मेरे साथ ही हो
मैं चाहूँ भी तो
कैसे दूर जाऊं तुमसे ! 
बताओ.....?????