बुधवार, 21 दिसंबर 2011

रिश्ते...और हम...





मेरी डायरी से ...
बरौनी रिफायनरी
२३-९-२००६


हर रिश्ता ...
बड़े प्यार से,
बड़े लगन से
काफी समय में
बन पाता है
और कभी कभी
instant भी बन जाता है.
फिर भी...
हम उसे संजो कर
नहीं रख पाते हैं !
बनाने के समय
हम कितनी मेहनत 
और कितना प्यार
देते हैं उसे,
लेकिन...
जब बन जाता है
तब casual हो जाते हैं,
taken for granted लेने लगते हैं !
धीरे-धीरे एक-दूसरे की
छोटी-छोटी गलतियों को भी
बड़ा करके देखने लगते हैं,
अपने शब्दों के लिए भी
careful नहीं रह पाते हम !
फिर..
एक समय आता है जब...
वही रिश्ता
जिसे हमने
बड़े प्यार से बनाया था
बोझ लगने लगता है,
क्योंकि...
हमने खुद उसे
अपनी ही बातों से
बोझिल बना दिया होता है...!!




13 टिप्‍पणियां:

  1. हम्म.. यूँ ही होता है अक्सर..

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  2. Rishte naate dil se juidte..
    Bojh tabhi ye bante hain...
    Man main koi baat hai chubhti...
    Tabhi ye toote lagte hain...

    Karak aur karan bhi hum hi hain har rishte ke banane-tootne ke...

    Deepak Shukla..

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  3. बिल्कुल सही कहा रिश्तो की भी अपनी एक मर्यादा होती है।

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  4. जो कुछ भी हम अपने हर काम के लिए स्वयं ही कहीं न कहीं उत्तरदायी होते हैं.........बहुत सुन्दर पोस्ट.......बरौनी रिफायनरी क्या कोई जगह का नाम है.....बरौनी तो शायद कोई शहर है न |

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  5. वाह...! लाजवाब !
    सुंदर रचना !
    रिश्ते ऐसे ही होते हैं ! बीच बीच में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग भी अच्छा लगा !

    मेरी नई रचना ख्वाबों में चले आओ

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  6. शाश्वत की काव्यात्मक अभिव्यक्ति...

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  7. ठीक कहा है आपने ... हम हलके से लेते हैं और खो देते है रिश्तों को ...

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  8. सत्य भाव है...
    हर रिश्ते की मर्यादाएं और अपेक्षाएं होती है..जब तक वो पूरी होती है रिश्ता जिन्दा रहता है..

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  9. लेकिन जब बनजाता है
    तब कैजुअल हो जाता है.....

    हाँ निरंतर जागरूकता से देखते रहना होता है हर रिश्ते में स्वयं को ...बहुत सुंदर मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है आपने पूनम जी !
    बहुत खूब !!

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  10. बहुत अच्छे भाव...
    बीच में इन english words का उपयोग अलग सा लगा...

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