शनिवार, 24 सितंबर 2011

शिक्षा.....








ज़िंदगी रोज़ ही
हमें कुछ न कुछ
सिखाती जाती है...
ज़रुरत है हमें
बाहरी आँखों के साथ
भीतर की आँखों को भी 
खुला रखने की !
बाहर के साथ-साथ 
भीतर भी कुछ घटता है 
और भीतर का घटना
खुली आँखों से
नहीं दिखाई देता है....!!
हम चाहते हैं कि
बदलाव दिखाई दे बाहर, 
कुछ वैसा ही
जैसा की भीतर हो रहा है
लेकिन....कोई है....
जो महसूस कर रहा है
यह बदलाव,
और चाह के भी
दिखा नहीं पा रहा है !
क्योंकि यह घटना 
घटती है कहीं अन्दर.....
जहाँ पहुँच पाना आसान नहीं
किसी के लिए भी,
और कभी-कभी
स्वयं के लिए भी.....!!


सोमवार, 19 सितंबर 2011

बुद्धि.......






ईश्वर की सबसे उत्कृष्ट कृति
है ये इंसान...!
और उसके पास एक चीज़ है
बुद्धि.....!
जिसे इस्तेमाल करने की
पूरी-पूरी स्वतंत्रता दी है
ईश्वर ने इंसान को !!
इंसान सब काम करता है
इसी बुद्धि से !
जब कोई काम अच्छा हो जाता है
तो उसका श्रेय अपने सिर पर लेता है
और जब कोई काम
बिगड़ जाता है उससे तो.....
उसका दोष
वह ईश्वर के सिर पर मढ़ देता है !
इंसान सब छोड़ सकता है परन्तु
एक बुद्धि ही है....
जो वह किसी तरह भी
छोड़ने के लिए तैयार नहीं होता !
जहाँ उसे बुद्धि लगानी होती है
वहां नहीं लगता.....
और जहाँ नहीं लगानी होती है
वहां बेवजह लगाता रहता है !!

शनिवार, 3 सितंबर 2011

अधूरी तस्वीर......




कोने में पड़ी वो तस्वीर
जो तुमने बनायी थी कभी..
कितनी अकेली है !  
क्योंकि वह अधूरी है......!!
और
यही वास्तविकता है तुम्हारी !
तुम उसे पूरा नहीं कर सकते !!
क्योंकि-
तुम्हें तो ख्वाबों में
रंग भरने की आदत है,
तुम अपने ख्वाबों को
पूरा करने के लिए
एहसासों में जीते हो,
सारा समय उन्हें ही 
पूरा करने में
लगे रहे हो अब तक !
शब्दों को जीते हो हकीकत में,
और ख्वाबों में-
भावनाओं,एहसासों में खो जाते हो !
इसीलिए ख्वाबों की दुनिया
हकीकत नहीं हो पाई
अब तक तुम्हारी !
उस अधूरी तस्वीर की तरह
तुम्हारी हकीकत
आज भी अधूरी है !!
क्योंकि हर बार
तुम आगे बढ़ जाते हो
अपने ख्वाबों की दुनिया में
एहसासों को जीने के लिए,
उन्हें पूरा करने के लिए !
और हर बार तुम्हारा
ध्यान हट जाता है
अपनी ही हकीकत से
अपनी उस अधूरी तस्वीर की  तरह
जिसे तुम अभी तक
पूरा नहीं कर पाए हो !
और  इसीलिए
तुम छटपटाते भी हो कि
तुम्हारी हकीकत
तुम्हारे ख्वाबों की
पूर्णता क्यों नहीं बन पाती ??
प्रश्न खुद से करो तो सही होगा....!!!