बुधवार, 24 अगस्त 2011

दिल.....











जो आँखों को दिखता हैं...
जो कानों को सुनायी देता है...
कभी-कभी झूठा होता है !
दिल क्या समझता है...
क्या महसूस करता है...
कोई नहीं कह सकता है !!



8 टिप्‍पणियां:

  1. दिल की बात तो दिल ही समझता है,पूनम जी.
    आपकी अभियक्ति दिल से हुई है तो दिल कैसे कहेगा कुछ.

    समय मिलने पर,मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
    दिल से इंतजार है आपका.

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  2. दिल क्या समझता है…
    क्या महसूस करता है…

    कोई नहीं कह सकता !!


    क्या बात कही है
    पूनम जी

    सुंदर रचना के लिए आभार ! बधाई !

    एक मत्ला आपके लिए
    दिल की हालत को कोई क्या जाने
    या तो हम जानें… या ख़ुदा जाने

    :)

    हार्दिक मंगलकामनाएं-शुभकामनाएं!
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  3. राकेशजी,मृदुलाजी,राजेन्द्रजी,प्रवीणजी......
    आप सभी का धन्यवाद....!!

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  4. इतने कम लफ्ज़.......इतनी गहरी बात.........सुभानाल्लाह.

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  5. वाह! बहुत खूब लिखा है आपने! मन की गहराई को बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है!

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  6. अदभुत रचना उम्दा लफ़्ज़ों का चयन! प्रशंशनिये रचना...

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  7. मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है ,पूनम जी.
    भक्ति-शिवलिंग पर अपने सुविचार प्रस्तुत करके
    अनुग्रहित कीजियेगा.

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