बदहवासी हर तरफ छाई है ऐसी
खोजते हैं लोग अब तन्हाइयां !
मुंह छुपा कर रो सकें चुपचाप वो
और न देखे उन्हें अब ये जहाँ....!!
ओढ़ कर झूठा लबादा चैन का वो
बाँट कर लोगों को अपनी झूठी खुशी वो !
बन मसीहा हो गए मशहूर हैं सब..
दाग दामन में लिए फिरते हैं कितने वो !!
कर जहाँ की और इन्सां की बुराई
रिश्तों और किस्मत की करके भी बुराई !
न मिला है चैन उनकी रूह को फिर भी
दे रहे हैं अब खुदा की ही दुहाई !!
बहुत सुंदर पंक्तियाँ ।
जवाब देंहटाएंWese to puri rachna achi hai....
जवाब देंहटाएंLekin bich ki line jyada psand aayi....
Jai hind jai bharatWese to puri rachna achi hai....
Lekin bich ki line jyada psand aayi....
Jai hind jai bharat
पूनम ही, एक सामयिक एवं सार्थक रचना के लिए बधाई स्वीकारें।
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बारात उड़ गई!
ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!
अत्यन्त सुन्दर पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंखुद को ही छलने का भ्रम बना लेते हैं लोग........सुन्दर पोस्ट|
जवाब देंहटाएंअंततोगत्वा करनी का फल तो मिलना ही है - सार्थक और प्रेरक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअत्यन्त सुन्दर रचना, बधाई।
जवाब देंहटाएं....दे रहे हैं अब खुदा की ही दुहाई!
जवाब देंहटाएंवाह!