मंगलवार, 21 जून 2011

स्पर्श...




तुमने मुझे
छुआ नहीं
फिर ये
सिहरन कैसी ?
शायद
ये हवा का झोंका
तुम्हारे पास से
आया होगा......!!


16 टिप्‍पणियां:

  1. शायद हवा का ये झोंका ......

    बहुत सुंदर .....

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  2. बहुत खूब.
    उसके होने का अहसास ही तो मुहब्बत है.

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  3. भाव बिना माध्यम के ही बह सकने में सक्षम हैं।

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  4. सुभानाल्ह.......कितनी छोटी सी बात में कितना गहरा अहसास छुपा है ....वाह

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  5. वाह ..बहुत खूब ... प्यारी रचना और सुखद एहसास

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  6. अति सुन्दर...
    जाकि रहे भावना जैसी हरी मूरत तेहि देखे तैसी

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  7. Bahut achha Punam Ji...yahi hawa ka jhonak to hamein jeene ki aas deta hai...

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  8. वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।

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  9. इतनी सुन्‍दर पंक्तियां आपकी ही कलम का जादू है ....।

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  10. शायद हवा का ये झोंका ......बहुत सही

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  11. पूनम जी

    सिहरन पैदा करती रचना के लिए ……… आभार !


    हार्दिक शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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