मंगलवार, 21 जून 2011

स्पर्श...




तुमने मुझे
छुआ नहीं
फिर ये
सिहरन कैसी ?
शायद
ये हवा का झोंका
तुम्हारे पास से
आया होगा......!!


रविवार, 12 जून 2011

अश्क....





हमने सोचा भी न था ऐसा भी दिन आएगा !
आँखों में बसता है जो दिल से दूर जायेगा !!

हमने बांधा नहीं आँखों में बसाया था उसे !
क्या खबर थी कि वह अश्कों में ही ढल जाएगा !!

औरों की शम्मा पे जलते हुए देखा है तुझे !
अपने घर का अन्धेरा कैसे तू मिटाएगा !!

तू मेरे दिल में है हर वक़्त साथ है मेरे !
तेरे वजूद में तू खुद न समा पायेगा !!

तूने खुद अपनी कही अपनी करी अपनी सुनी !
तेरा किया और कहा तेरे साथ जायेगा !! 



शुक्रवार, 3 जून 2011

काश....








हो रात भरी तारों वाली
महकी महकी काली काली !
उस रात के भीने आंचाल में
हाथों को डाले हाथों में !
चलते-चलते खो जाएँ कहीं 
धरती से मिले आकाश वहीँ !
आँचल का बिछौना मैं कर लूं
बाहों का सिरहना तुम कर लो !
सो जाओ तुम उस बिस्तर पर
आगोश में लेकर तुम मुझको !
है चुप धरती,आकाश है चुप  
है तारे चुप और रात भी चुप !
जब मौन हों सारी भाषाएँ
जब पूरी हों सब आशाएं !
जब तुम हो साथ नहीं कोई

बस साथ मेरे है रात यही !!