शुक्रवार, 18 मार्च 2011

पुराने पन्नों से.........

 

प्रत्येक मंदिर की नींव में रखी हुई हर ईंट उतनी ही महत्त्वपूर्ण होती है जितना कि उस मंदिर के ऊपर चमकता हुआ गुम्बद..!! अब अगर गुम्बद खुद पर इतराए कि मंदिर की सुन्दरता उसी से है तो कहाँ तक सही है...!! अगर हम नींव में रखी गई ईंटों में से एक भी ईंट को उसकी जगह से थोड़ा सा खिसका दें या पूरा ही हटा दें तो पूरे मंदिर की इमारत हिल जायेगी या फिर ढह भी सकती है..!! ये कितने लोग समझते हैं या जो समझते है वो भी अनजान बने रहते हैं !!
                                                          इस जीवन में हर कोई अपने-अपने स्थान पर महत्त्वपूर्ण है चाहे छोटा हो या बड़ा !! संसार की हर छोटी से छोटी चीज़ उतनी ही अहमियत रखती है जितनी कि बड़ी....ईश्वर ने सभी को किसी न किसी उद्देश्य से बनाया है..!! संसार का कोई भी प्राणी,कोई भी वस्तु किसी भी चीज़ को उतना over  power नहीं करती है जितना कि इंसान...!! एक इंसान ही है जो अपने मन मुताबिक न होने पर किसी की अवहेलना कर सकता है और बेवज़ह over  power करने की कोशिश भी करता है क्यूंकि उसे हमेशा लगा रहता है कि कहीं कुछ है जो उसके हाथ से निकलता जा रहा है...!! बस वहीँ से उसे हर चीज़ को अपनी मुट्ठी में करने की चाह होने लगती है...चाहे वह किसी पद पर हो,घर हो,परिवार हो,समाज हो या फिर इससे भी बड़ा दायरा हो,छोटा हो,बड़ा हो....समय,परिस्थितियाँ और स्थान अलग-अलग हो सकते हैं...लेकिन करते  सब यही हैं !! ऐसा करके उसे लगता है कि सब उसके control में है...लेकिन यह उसका भ्रम होता है..!! ज़बरदस्ती कण्ट्रोल की हुई वस्तु,परिस्थिति और इंसान यहाँ तक कि रिश्ते भी कभी-कभी बेलगाम हो जाते हैं...और फिर शुरू होता है सिलसिला stress और frustration का....साथ ही साथ और भी न जाने कितने problems....कुछ शारीरिक (संवेदनात्मक), कुछ मानसिक (भावनात्मक)... और फिर दोषारोपण कभी समाज पर,कभी परिस्थिति पर,कभी साथ में रह रहे लोगों पर और अगर कुछ न मिले तो ईश्वर और भाग्य तो है ही....!!
            लेकिन कब तक..?? कब तक दोषारोपण करेंगे..?? कब तक भाग्य और भगवान को दोष देंगे..?? उन्हें यही लगता है कि उन्होंने कितना दिया...??  कितना दूसरों के लिए कितना किया..?? बदले में उन्हें दूसरों ने क्या दिया..?? हमारे जीवन में न जाने कितने लोग मिल जायेंगे यही कहते हुए...बताते हुए...!! और हमारी सारी सहानुभूति भी जुड़ जाती है उनके साथ....क्यूंकि हम खुद को उनकी जगह पर रख कर उन्हें सुनते और समझते हैं...हमारी सारी भावनाएं उनके साथ जुड़ जाती हैं  और हम अपने आप  को भी उनसे co-relate कर पाते हैं इस स्तर पर....!!
                                     तो क्या उन्होंने जीवन में सिर्फ दिया ही...?? क्या उन्हें जीवन में किसी से कुछ नहीं मिला..?? क्या उन्होंने सिर्फ दिया ही..लिया कुछ नहीं किसी से..?? आजतक उन्होंने जीवन  में जो भी हासिल किया क्या उसमें किसी का भी योगदान नहीं रहा...?? लेकिन इतना सोचने की किसे फुर्सत और ज़रुरत है !! इससे मन और दिमाग पर जोर भी पड़ता है और अहं को भी तो ठेस लगती है.....और फिर यह सब न सोच कर बड़े आराम से दूसरों की अहमियत को नकार दिया जाता हैं..!!
                                                  अपने जीवन में हमें जो मिला हमारे लिए  वही ठीक है....यह न मान कर जब तक हम बाहर कुछ खोजते रहेंगे,जो है उसे नज़रन्दाज़ करके कुछ और के पीछे भागते रहेंगे और जब वह नहीं मिले तो उसका दोष दूसरों पर या भाग्य पर डालते रहेंगे...जब तक हम ईश्वर के प्रति thankful नहीं होंगे और परिस्थिति और समयानुसार खुद को ढाल नहीं लेंगे....तब तक समय और परिस्थिति हमारे अनुकूल व्यवहार नहीं करती हैं....!! ईश्वर के प्रति कृतज्ञता के साथ समय और परिस्थिति को दोष न देकर  बेहतर है कि खुद को हम उनके अनुसार बदल डालें....!! ईश्वर ने हमें बुद्धि और विवेक इसीलिए तो दिया है कि हम उसका समय रहते उपयोग करें..!!
                         इस संसार में कुछ भी बेमानी नहीं है...!! जीवन में हर इंसान,हर रिश्ता,कोई वस्तु,या कोई घटना...समय पर ही घटती  है...!! यहां तक कि ज्ञान भी उसी समय मिलता है जब उसकी ज़रुरत होती है....अब यह हमारे ऊपर है कि हम उसका इस्तेमाल कब और कैसे करते हैं...हम उसे use  करते हैं.....या misuse...!!

अप्रैल,२००९

17 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर, गुम्बद नींव को भूलने के उपक्रम में लगे हैं।

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  2. शुभकामना है कि आपका ये प्रयास सफलता के नित नये कीर्तिमान स्थापित करे । धन्यवाद...
    आपका ब्लॉग अच्छा है |

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  3. दार्शनिक सोच को दर्शाती पोस्ट...

    कुंवर जी

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  4. बहुत अच्छा सन्देश देती......... अच्छी लगी यह पोस्ट...... रंगों का त्यौहार बहुत मुबारक हो आपको और आपके परिवार को.........

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  5. बहुत अच्छा सन्देश देती पोस्ट|
    होली की हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  6. आप को होली की हार्दिक शुभकामनाएं । ठाकुरजी श्रीराधामुकुंदबिहारी आप के जीवन में अपनी कृपा का रंग हमेशा बरसाते रहें।

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  7. होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
    आइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।

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  8. बहुत सार्थक रचना..होली की हार्दिक शुभकामनायें !

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  9. प्रिय पुनम जी
    रंग भरा स्नेह भरा अभिवादन !

    होली के अवसर पर गंभीरता ?

    कोई और अवसर होता तो अवश्य प्रेरक होने के कारण अच्छा लगता … आज तो मनःस्थिति अलग ही है न … :)

    बाद में कभी पढ़ूंगा यह आलेख …
    बुरा मत मान जाइएगा …


    ♥ होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥

    होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
    मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!


    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  10. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  11. प्रशंसनीय.........लेखन के लिए बधाई।
    ==========================
    देश को नेता लोग करते हैं प्यार बहुत?
    अथवा वे वाक़ई, हैं रंगे सियार बहुत?
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    होली मुबारक़ हो। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

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  12. सार्थक सोच का परिचायक है ये आलेख्……………बहुत सुन्दर्।

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  13. इस नश्वर संसार में आप की प्रेरणा देती आध्यात्मिक सोच को प्रणाम

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  14. सोच को दिशा देता एक सुंदर लेख | हर वस्तु या व्यक्ति की अहमियत होती है | जीवन में हर चीज अपने समय पर और अपने कर्मों के अनुसार ही मिलाती है |

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