मंगलवार, 15 मार्च 2011

शायद....................





खूबसूरत सी शाम ढलने को आई,
तुम साथ न हो के भी साथ थे !
कहीं दूर तुम कहीं दूर हम,
हमारे साथ केवल हमारे एहसास थे !!

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तुमने मुझे छुआ नहीं
फिर ये सिहरन कैसी !
शायद ये हवा का झोंका
तुम्हारे पास से आया होगा !!

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प्यार का एहसास भी
कुछ अजीब सा होता है
जो न हो सामने
वो दिल के करीब होता है !!
हाथ न छू सकें
क्यूँ दिल उसे महसूस करे..
क्या कहें.....??
ये रिश्ता ही अजीब सा होता है !!



17 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही खुबसुरती से गढ़ा है भावों को...लाजवाब....बहुत ही सुंदर।

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  2. कितनी खूबसूरती से भाव पिरोए हैं आपने...बधाई.

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  3. वाह! तीनों रचनायें एक से बडकर एक कोमल अहसास लिये हुये हैं! वाह!

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  4. मन में किसी की उपस्थिति का अनुभव प्रत्यक्ष से भी गहन होता है।

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  5. बहुत खूब .
    उसके होने का अहसास ही हमें ज़िंदा रखे हुए है.
    नहीं तो कब के मर चुके होते.
    सलाम.

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  6. bahut hi pyaari prem bhari rachnaaye .. man ko chootii hui aur man me basti hui ...,


    badhayi sweekar kare..

    ---------

    मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
    आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
    """" इस कविता का लिंक है ::::
    http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html

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  7. आप ने कभी भगवान को देखा है..सिर्फ होने का एहसास व अनुभूति ही हमारे अंतर्मन में श्रधा और समर्पण पैदा कर देती है...
    सायद इसी समर्पण भाव को पुस्तकों में प्यार कहा गया है..
    सुन्दर कविता..

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  8. तीनों रचनाएँ बहुत सुन्दर


    तुमने मुझे छुआ नहीं
    फिर ये सिहरन कैसी !
    शायद ये हवा का झोंका
    तुम्हारे पास से आया होगा !!

    यह विशेष रूप से ...

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  9. पूनम जी,

    जज़्बात तक और हौसला बढाने का तहेदिल से शुक्रिया.....आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ.....सबसे पहले तो आपकी प्रोफाइल से काफी प्रभावित हुआ.......फिर आपकी इस पोस्ट में जो शेर हैं वो पसंद आयें प्यार की नाज़ुकी का अहसास समेटे ये शेर शानदार लगे......आगे भी साथ बना रहे इसलिए आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ|

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  10. आप सभी की सराहना के लिए धन्यवाद....
    होली को कुछ दिन ही रह गए हैं


    शायद उस समय समय न मिले .....
    इसीलिए...

    "रंगों की बौछार
    और
    प्यार भरे गुलाल
    के साथ
    मेरे सभी मित्रों को
    शुभ हो होली का त्यौहार......!!"

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  11. प्रिय पुनम जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    बहुत ख़ूबसूरत जज़बात की अदायगी हुई है आपकी रचना में -
    तुमने मुझे छुआ नहीं
    फिर ये सिहरन कैसी !
    शायद ये हवा का झोंका
    तुम्हारे पास से आया होगा !!

    अच्छी रचना के लिए आभार !
    हार्दिक बधाई !

    अब होली दूर नहीं … :)

    होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
    मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!

    ♥होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥


    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  12. तुमने मुझे छुआ नहीं
    फिर ये सिहरन कैसी !
    शायद ये हवा का झोंका
    तुम्हारे पास से आया होगा !!

    ati sunder........

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  13. आपकी रचनाओं ने बहुत सुंदर अहसास करवा दिया ...
    धन्यवाद ...

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  14. waah bahut gehri anubhuti ......sunder rachna ke liye badhai sweekar karein

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