बुधवार, 12 जनवरी 2011

शब्द.............



इंसानों से भी बड़े  हैं ये शब्द !!
हम इन्हीं के जाल में
छटपटाते,उलझे पड़े हुए हैं!
ये शब्द--
जब चाहें किसी का जीवन
 संवार दें और...  
चाहें तो किसी का
बना-बनाया,सजा-सजाया
जीवन उजाड़ दे.
हम चाहें तो
इन्हें फूलों की माला की तरह
पिरो-पिरो कर  
किसी के गले में हार की तरह
पहना भी सकते हैं,
या फिर....
कंकर-पत्थर की तरह
किसी के सिर पर
फेंक कर मार भी सकते हैं
इनकी चोट...
ऊपर से दिखाई नहीं देती,
पर जख्म गहरा करती है
फिर चाहे कितने भी मरहम लगाओ
जल्दी ठीक नहीं होती है !
यही शब्द--
किसी के मन को
सावन सा हरा-भरा,
खुशहाल करते हैं
साथ ही...
 अपनी गर्मी से
किसी के मन की
कोमल भावनाओं,
संवेदनाओं को  सुखा भी सकते हैं... 

9 टिप्‍पणियां:

  1. शब्द फुल है ....और भाषा हार या माला ...और आपने बहुत अछि माला म्बनाई पूनम जी

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  2. sach hi to kaha aapne, pata nahi kaun sa shabd kisiko atirek khushi de de, to kaun sa kisi ko ek aisee chubhan!!...aur aisee chubhan jo ta-janm tadpati rahe..:)

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  3. जय श्री कृष्ण...आप बहुत अच्छा लिखतें हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!

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  4. पूनम जी प्रणाम!
    इंसानों से भी बड़े हैं ये शब्द .....
    बिल्कुल सही.....सब शब्दों का ही फेर है ......

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  5. हकीकत बंया करते भाव..
    आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"

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  6. यही शब्द--
    किसी के मन को
    सावन सा हरा-भरा,
    खुशहाल करते हैं
    साथ ही...
    अपनी गर्मी से
    किसी के मन की
    कोमल भावनाओं,
    संवेदनाओं को सुखा भी सकते हैं...
    यही तो शब्दों का कमाल है ..बहुत सटीक

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  7. आदरणीय पूनम जी
    सादर प्रणाम
    शब्दों के बारे में इतने उम्दा और सटीक विचार पढ़कर मन हर्षित हो गया ..आपकी लेखनी में कमाल का जादू है ..ऐसा प्रतीत हुआ ...हर एक शब्द का चयन भाव के अनुकूल करना ..कवि कुशलता को प्रमाणित करता है ...बहुत बहुत आभार

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