मंगलवार, 9 नवंबर 2010

तुम्हारे लिए.........
तेरे आने का है  इंतज़ार
मैंने  तुझको पुकारा भी .
तू है सामने मेरे...
मैंने हाथ  बढाया भी ,
पर ए  खुदा !
मेरी लाख कोशिशों के बावजूद भी..
तू ये फासला न  तय कर सका, 
बढ़ने दीं  तूने ही मुश्किलें....
हमारे दरम्यान ,
और  खुद  हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा,
फिर भी मेरी कोशिशें जारी हैं
तुझ तक पहुँचने की ,
तू भले ही ना आये मुझ तक
लेकिन..............
एक न एक दिन
मैं  ये फासला तय कर ही लूंगी !!!

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