हमने तुम से लाख दिवाने देखे हैं...
छलक पड़े खाली पैमाने देखे हैं...!
कहने को तो अपने हैं दुनिया में सब...
मौके पर बनते बेगाने देखे हैं...!
हमने जिनकी ख़ातिर जग से बैर लिया...
रिश्तों में भी वो अनजाने देखे हैं...!
रुक जाते हैं आते आते लब तक जो...
दिल में ऐसे दफ़्न तराने देखे हैं...!
आँखों ही आँखों में सब कुछ कह डाला...
ज़ाहिर से हैं आज बहाने देखे हैं...!
जिन बातों का राज़ छुपा 'पूनम' दिल में...
उनसे बनते लाख फ़साने देखे हैं...!
***पूनम***
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार ३ अप्रैल २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंवाह ! लाजवाब !! बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंउमर्दा शानदार!!
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब।
वाह !लाजवाब।
जवाब देंहटाएंहर बंद सराहनीय ..
वाह!बेहतरीन!
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