बात दिल की सुना गया कोई...
आस फिर से जगा गया कोई...!
राज़ अब तक छुपाये बैठे थे...
आज सबको बता गया कोई...!
राबिता कुछ न कुछ तो होगा ही...
सारे रिश्ते निभा गया कोई...!
इक नदी मुद्दतों से सूखी थी...
चन्द कतरे बहा गया कोई...!
ज़िन्दगी की उदास राहों में...
ख़्वाब रंगीं सजा गया कोई...!
कुछ तो है रूठने मनाने में...
शबनमी गुल खिला गया कोई...!
रात 'पूनम' की दिल ने दस्तक दी..
बन के मेहमान आ गया कोई..!
***पूनम***