बेवजह करता गिला इंकार का....।
रास्ता कोई तो होगा प्यार का...!
था भरोसा जिस पे धोखा दे गया...
है रहा दस्तूर ये संसार का...!
ज़िन्दगी इस मोड़ पर है आ गयी...
आसरा हमको है एक पुकार का...!
रात को भी मेरी महफ़िल सज गयी...
सामने चेह्रा मेरे दिलदार का...!
जब दिलों में दूरियाँ ही आ गयीं...
दोष कोई है नहीं दीवार का...!
वो मना करके भी बातें मान ले...
मामला समझो ये है इज़हार का...!
गलतियाँ की तो बहुत 'पूनम' मगर...
हौसला भी हो कभी इक़रार का...!
***पूनम***
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (29-11-2015) को "मैला हुआ है आवरण" (चर्चा-अंक 2175) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शुक्रिया रूपचन्द्र जी
हटाएंशुक्रिया रूपचन्द्र जी
हटाएंबहुत ही सुंदर।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंएक बार हमारे ब्लॉग पुरानीबस्ती पर भी आकर हमें कृतार्थ करें _/\_
http://puraneebastee.blogspot.in/2015/03/pedo-ki-jaat.html
धन्यवाद आपका इस रचना को मंच पर सम्मिलित करने के लिए
हटाएंबेहतरीन रचना और उम्दा प्रस्तुति....आपको सपरिवार नववर्ष की शुभकामनाएं...HAPPY NEW YEAR 2016...
जवाब देंहटाएंPLAEASE VISIT MY BLOG AND SUBSCRIBE MY YOUTUBE CHANNEL FOR MY NEW SONGS.
धन्यवाद आपका इस रचना को मंच पर सम्मिलित करने के लिए
हटाएंरास्ता कोई तो होगा प्यार का।।।
जवाब देंहटाएंवह बहुत खूब