मंगलवार, 19 अगस्त 2014

रंग......










बदरंग चाहतों की कहानी 
कुछ और ही रही होती....
अगर तुम उस लाल फूल को
शरमाते हुए भी छू लेते...!
तो क्या पता...
उसकी नीली चुनरी भी
लाल हो जाती...
और तुम्हारे आकाश का रंग
कुछ बैंगनी सा हो गया होता...!
देव...!
अबकी बार की बारिश में
सारे पुराने रंगों को धो डालो...
क्यूंकि इस बार का इन्द्रधनुष
ढेर सारे रंग ले के आया है
सिर्फ तुम्हारे लिए...!
उसके माथे पे सजा रंग भी
उसी में से एक है...!!

मुबारक हो सखि....
इस बार की अधूरी कविता के...
सारे खुशनुमा बदरंग रंग..
देव की तरफ से तुम्हारे लिए....!!

***पूनम***
29/07/2014




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