मंगलवार, 19 अगस्त 2014

तू मेरा.....मैं तेरी.....







अपनी अपनी दुनिया से 
दो कदम बाहर सरक जाना....
कुछ तो है जरुर....!
क्या इसी को मुहब्बत कहते हैं..?
उम्र का ये मुकाम...
और ये खलिश....

फिर फर्ज़ क्या करना है...
यकीनन कोई तलाश तो है...!
है न....??
गर सब फर्ज़ ही करना है तो..
क्यूँ सोचें कि ये क्यूँ है...?
वो क्यूँ है....???
बस....
आज ये फर्ज़ करती हूँ....
तुम मेरे....
मैं तेरी......!!




***पूनम***
16/05/2014




ज़िंदगी.....





तुम्हें पढ़ना इक जिंदगी सा लगता है....
नहीं जानती वो जिंदगी कौन सी है...
जो जी रही हूँ...
जो जीना चाहती थी...
या जो बस कहीं ख्वाब में ही 
बुनी जा सकती है...!
चाहने से ही कुछ नहीं होता है...
ख्वाब भी सबका सच नहीं होता है...!!
देव....!
कुछ है कहीं...
जो अनजानों को भी बाँधता है..
हम सभी के बीच इक ऐसी ही डोर है...
जिसका खिंचाव समय समय पर...
एहसास दिला जाता है कि..
कहीं कुछ लोग हमारी तरह के भी हैं... !!




***पूनम***



रंग......










बदरंग चाहतों की कहानी 
कुछ और ही रही होती....
अगर तुम उस लाल फूल को
शरमाते हुए भी छू लेते...!
तो क्या पता...
उसकी नीली चुनरी भी
लाल हो जाती...
और तुम्हारे आकाश का रंग
कुछ बैंगनी सा हो गया होता...!
देव...!
अबकी बार की बारिश में
सारे पुराने रंगों को धो डालो...
क्यूंकि इस बार का इन्द्रधनुष
ढेर सारे रंग ले के आया है
सिर्फ तुम्हारे लिए...!
उसके माथे पे सजा रंग भी
उसी में से एक है...!!

मुबारक हो सखि....
इस बार की अधूरी कविता के...
सारे खुशनुमा बदरंग रंग..
देव की तरफ से तुम्हारे लिए....!!

***पूनम***
29/07/2014




सोमवार, 18 अगस्त 2014

कोई हमदर्द....मेरा साया है...




कोई चुपके से रात आया था..
कोई हमदर्द..मेरा साया था..!

देर तक रो रही थी तन्हाई..

आप ने चुप कहाँ कराया था..!                  

एक हम ही मुरीद थे उसके..

उसने रिश्ता कहाँ निभाया था..!        

आप समझे हैं बात कब मेरी..

उसकी बातों ने ही लुभाया था..!                

आइना था रकीब वो मेरा..

इस तरह उसने हक जताया था..!            

आप आए तो कुछ सुकूं आया..

दर्द ने यूँ बहुत सताया था..!

तीरगी ही मिली थी राहों में..

आप ने कब दिया जलाया था..!

प्यार ही प्यार था तेरे दिल में..

क्यूँ नहीं फिर इसे निभाया था..!

रात भर जागती रही  'पूनम '..            

चाँदनी ने गले लगाया था..!


16/8/2014